रंगशीर्ष जयदेव नाट्योत्सव के पहले दिन हुआ अम्बपाली का मंचन
नई दिल्ली (आरएनआई) आत्मा राम सनातन धर्म ( महाविद्यालय दिल्ली-विश्वविद्यालय) की नाट्य समिति ‘रंगायन’ द्वारा अपनी यात्रा के बीसवें वर्ष में प्रवेश करने के अवसर पर इस वर्ष पाँच दिवसीय नाट्य उत्सव का आयोजन किया जा रहा है जिसका उद्धाटन कल 29 जनवरी की संध्या श्रीराम सेंटर, मंडी हॉउस में रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा लिखित तथा रवि तनेजा द्वारा निर्देशित नाटक ‘अम्बपाली’ के सफल प्रदर्शन के साथ हुआ।जिसमें कॉलेज के पूर्व छात्रों के साथ वर्तमान छात्रों ने हिस्सा लिया।प्रस्तुति से पहले ‘रंगायन’ की बीस वर्षों की गतिविधियों पर आधारित ‘स्मारिका’ तथा प्रो. ज्ञानतोष कुमार झा द्वारा संपादित पुस्तक “जगदीशचंद्र माथुर : रंग परिदृष्य” का विमोचन दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति पद्मश्री दिनेश सिंह, प्रसिद्द नाट्य आलोचक जयदेव तनेजा तथा कॉलेज गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन पवन जग्गी ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर जयदेव तनेजा ने कहा कि प्रो. ज्ञानतोष कुमार झा द्वारा संपादित और अंतिका प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक “जगदीशचंद्र माथुर: रंग परिदृष्य” में जगदीश चंद्र माथुर जी के लेखन और व्यक्तित्व पर समग्रता में प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है।कोणार्क जैसे प्रयोगधर्मी नाटक के लेखक माथुर जी ने अनेक नाटकों और एकांकी के साथ साथ रंग आलोचना भी लिखा है! रेखाचित्र विधा की उनकी पुस्तक “दस तस्वीरें” भी बहु चर्चित रचना है! अपने समय के आइसीएस रहे जगदीश चंद्र माथुर का व्यक्तित्व बहुआयामी था! बिहार के वैशाली का जीर्णोद्धार हो, नेतरहाट विद्यालय की स्थापना हो या फिर दूरदर्शन के महानिदेशक के रूप में उनका विविध प्रयोग, हर क्षेत्र में उनका कार्य मील का पत्थर रहा है! यह महज संयोग है कि आज जिस रामवृक्ष बेनीपुरी के नाटक अम्बपाली का मंचन हो रहा है उसका इस पुस्तक में उनके हर पक्ष सामने लाने के लिए विभिन्न विद्वानों के स्वतंत्र लेखों को समाहित किया गया है!
मुख्य अतिथि प्रो. दिनेश सिंह ने कहा कि ‘रंगायन’ के इस बीस वर्षों की गतिविधियों को देखकर आश्चर्य होता है कि एक कॉलेज की नाट्य संस्था ने इतनी शिद्दत से हिंदी रंगमंच को ना सिर्फ आगे बढाया है, बल्कि ऐसे अनेक कलाकार भी तैयार किया है जो आज रंगमंच से लेकर फिल्मों तक में अपना नाम स्थापित कर चुके हैं।कॉलेज गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन पवन जग्गी ने कहा कि इस तरह की सांस्कृतिक गतिविधियों से विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास होता है और वे अपने सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ते हैं। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. ज्ञानतोष कुमार झा ने कहा कि ‘इस साल हम पांच दिनों का नाट्य-उत्सव मना रहे हैं, क्योंकि दो दशक की यात्रा हमने पूरी की है। इस रंग-यात्रा का एक ही ध्येय है कि यह कारवाँ चलता रहे, हम सब बढ़ते रहें और ‘रंगायन’ का एक-एक सिपाही रंगमंच के लिए समर्पित हों। समाज और जीवन के ज्वलंत मुद्दों के साथ भारत की गौरवमयी अतीत तथा भारतीय संस्कृति से जुड़कर विद्यार्थी अपनी यात्रा को सफल बनाते रहें।‘ अंत में धन्यवाद ज्ञापन रंगायन की संयोजक प्रो. विनीता तुली ने किया।इसके बाद ‘अम्बपाली’ का मंचन हुआ जो दर्शक को पौने दो घंटों तक अपने आकर्षण में बांधे रखा। यह नाटक अम्बपाली उर्फ़ आम्रपाली के चरित्र पर केंदित है जो बौद्ध काल की एक सशक्त नारी ठर्र नाटक में अंबपाली की वैशाली गणराज्य की नगरवधु से एक बौद्ध भिक्षुणी बनने की कहानी को दर्शाया गया है। अंबपाली बौद्ध काल में वैशाली की इतिहास प्रसिद्ध राजनृत्यांगना थी, इनका एक नाम 'अंबपाली' या 'अम्बपालिका' भी है। अंबपाली अत्यन्त सुन्दर थी और कहते हैं जो भी उसे एक बार देख लेता वह उस पर मुग्ध हो जाता था। सम्राट अजातशत्रु उसके प्रेमियों में था, परन्तु अंबपाली स्वयं अपने राज्य के एक पुरुष अरुणध्वज से प्रेम करती थी। जीवन के विविध घटनाक्रमों से गुजरते हुए अंबपाली बुद्ध के प्रभाव से उनकी शिष्या हुई और उसने अनेक प्रकार के दान से बौद्ध संघ का महत् उपकार किया।निर्देशक रवि तनेजा ने अपनी इस प्रस्तुति में यथास्थान रचनात्मक प्रयोग भी किया जिससे कि उसकी वर्तमान प्रासंगिकता और बढ़ जाती है। सामान्य कलाकारों से भी रवि तनेजा ने इतनी लयबद्ध प्रस्तुति करवाकर अपनी निर्देशकीय क्षमता का बेहतर परिचय दिया है।अम्बपाली भूमिका में नृत्या कौशिक,भगवान् बुद्ध की भूमिका में अंशुल डोगरा, और वस्स्कार की भूमिका में रविंदर पंत ने अपने अभिनय से इसे यादगार प्रस्तुति बना दिया।नाटक का प्रदर्शन सामूहिक प्रयास और लगन से ही संभव होता है।
रंगायन की टीम के साथ साथ कॉलेज की नृत्य संगीत की समिति कलाश्री एवं सारंग का योगदान भी इस नाटक को चारचाँद लगा गया।आज दूसरे दिन रणजीत कपूर द्वारा लिखित तथा वशिष्ट उपाध्याय द्वारा निर्देशित नाटक ‘एक घोड़ा छह सवार’ का मंचन श्रीराम सेंटर में किया जा रहा है और कल मन्नू भंडारी के नाटक ‘महाभोज का मंचन किया जाएगा किसका निर्देशन सुमन कुमार ने किया है। कलाकार सभी आत्मा राम सनातन धर्म महाविद्यालय की नाट्य समिति ‘रंगायन’ के हैं।
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