यूपीआई पेमेंट विवाद सुलझा: व्यापारियों ने साइबर फ्रॉड की समस्या पर समाधान के बाद विरोध खत्म किया
व्यापारियों ने दुकानों पर से "यूपीआई से भुगतान नहीं" लेने के बोर्ड हटा दिए हैं और यूपीआई पेमेंट स्वीकार करना शुरू कर दिया है।
इंदौर (आरएनआई) इंदौर के रिटेल गारमेंट्स एसोसिएशन ने 6 दिन बाद यूपीआई से पेमेंट नहीं लेने का निर्णय वापस ले लिया है। यह फैसला एक साइबर फ्रॉड की घटना के बाद लिया गया था, जिसमें एक ग्राहक ने खरीदारी के बाद फ्रॉड का पैसा व्यापारियों के खाते में ट्रांसफर कर दिया। इसके चलते आरबीआई ने व्यापारी का खाता फ्रीज कर दिया, जिससे परेशान होकर व्यापारियों ने केवल नकद और क्रेडिट कार्ड से भुगतान लेने का निर्णय किया। मामले की जानकारी मिलने पर क्राइम ब्रांच और बैंक अधिकारियों ने एसोसिएशन के पदाधिकारियों से मुलाकात की और समस्या का समाधान निकाला। व्यापारियों ने आश्वासन के बाद यूपीआई पेमेंट स्वीकार करना फिर से शुरू कर दिया है।
क्राइम ब्रांच के एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने एसोसिएशन के अध्यक्ष अक्षय जैन और अन्य पदाधिकारियों के साथ चर्चा की। इसमें व्यापारियों ने बताया कि खरीदारों के मोबाइल नंबर बिलिंग के दौरान लिए जाते हैं, लेकिन अन्य प्रदेशों में हुए साइबर फ्रॉड के कारण उनके खाते फ्रीज कर दिए जाते हैं। इस पर दंडोतिया ने व्यापारियों को भरोसा दिलाया कि ऐसी स्थिति में वे क्राइम ब्रांच से संपर्क कर सकते हैं, जहां उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा। व्यापारियों ने इस मामले में ज्ञापन देने की बात कही और तय किया कि वे क्राइम ब्रांच से चर्चा करेंगे।
व्यापारियों ने अपनी दुकानों पर लगे "यूपीआई से भुगतान नहीं" लेने के बोर्ड हटा दिए हैं और यूपीआई पेमेंट स्वीकार करना शुरू कर दिया है। व्यापारियों ने कहा कि खाते फ्रीज होने पर केवल उतनी राशि फ्रीज होनी चाहिए जितनी फ्रॉड हुई हो, न कि पूरा खाता। एसोसिएशन अध्यक्ष अक्षय जैन ने बताया कि 650 दुकानदारों ने इस विरोध में हिस्सा लिया, जिसे अन्य व्यापारिक संगठनों का समर्थन भी मिला। इस कदम का उद्देश्य समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करना था। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के फैसले व्यापारियों के हित में हैं और यूपीआई व्यापार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। व्यापारियों ने अपने खातों को फ्रीज करने के फैसले का विरोध किया और साइबर फ्रॉड के मामलों में बैंक और आरबीआई से उचित समाधान की मांग की। क्राइम ब्रांच और बैंक अधिकारियों ने व्यापारियों को आश्वासन दिया कि उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा। इसके बाद यूपीआई पेमेंट फिर से शुरू किया गया।
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