यूपी पुलिस में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई, सीधे निलंबित किए गए 55 पुलिसकर्मी
यूपी पुलिस में 55 पुलिसकर्मियों का एक साथ निलंबन होने से विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। इसमें दरोगा से लेकर कांस्टेबल तक शामिल हैं। कई पुलिसकर्मियों ने डीसीपी के समक्ष पेश होकर कहा है कि उन्हें गलत फंसाया गया है।
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आगरा (आरएनआई) उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में भ्रष्टाचार की शिकायतों पर पुलिस आयुक्त ने 55 पुलिसकर्मियों को सीधे निलंबन की सजा दी है। इससे महकमे में खलबली मच गई है। प्रशिक्षु दरोगा परेशान हैं और अब किसी से लेनदेन की बात करना तक पसंद नहीं कर रहे हैं। कई निलंबित पुलिसकर्मी खुद को निर्दोष बता रहे हैं। शुक्रवार को तीन पुलिस कर्मी डीसीपी सिटी के समक्ष पेश हुए। मामले की जांच कराने की मांग की।
पुलिस आयुक्त जे रविन्दर गौड ने बताया कि लोकसभा चुनाव आचार संहिता लगने के बाद किसी पुलिसकर्मी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई थी। कुछ पुलिस कर्मियों ने इसी माहौल का फायदा उठाना शुरू कर दिया। जबकि सभी को निर्देश थे कि फीडबैक सेल की नजर पुलिस पर रहेगी। दो दिन में 55 पुलिस कर्मियों को भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोपों में निलंबित किया गया है। सबसे ज्यादा प्रशिक्षु दरोगा इस कार्रवाई में फंसे हैं। ऐसे में अब चौकियों पर आने वाली शिकायतों पर भी दरोगा सीधी कार्रवाई कर रहे हैं। किसी तरह की शिकायत नहीं हो जाए, इसका डर उन्हें सता रहा है।
तीन पुलिस कर्मी डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय के समक्ष पेश हुए। दरोगा ने डीसीपी सिटी के समक्ष अपना पक्ष रखा। कहा कि उनकी चौकी पर प्रतिदिन दो-चार पासपोर्ट रिपोर्ट के मामले आते थे। वह रुपये लेते तो सभी आवेदक शिकायत करते। पासपोर्ट रिपोर्ट के लिए बीट सिपाही जाते हैं। पता नहीं उनका नाम किसने थाने से बता दिया। जिस आवेदक की शिकायत पर निलंबन हुआ है उससे पूछा जाए कि रुपये किसके हाथ में दिए थे। वहीं एक सिपाही ने कहा कि वह सीसीटीएनएस में तैनात है। पासपोर्ट से उसका कोई लेना-देना नहीं है। उसका नाम थाने से गलत नोट कराया गया है। एक अन्य सिपाही ने भी अपनी सफाई पेश। डीसीपी सिटी ने पुलिस कर्मियों को भरोसा दिलाया कि इस मामले की जांच कराएंगे। उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं होगा तो उनकी बहाली हो जाएगी। उनके पास सभी नाम फीड बैक सेल से आए थे।
चुनाव के बाद कमिश्नरेट में सफाई अभियान शुरू हो गया है। पिछले ढाई महीने में पुलिस कर्मियों के खिलाफ जो भी शिकायतें हुई हैं उनमें अब कार्रवाई हो रही है। जल्द ही थाना प्रभारियों में भी फेरबदल होने के आसार जताए जा रहे हैं। शहर से लेकर देहात तक के कई थाना प्रभारी अधिकारियों के निशाने पर हैं। चुनाव के समय किसी को हटाया जाता तो नई तैनाती के लिए चुनाव आयोग से अनुमति की जरूरत पड़ती। थाना प्रभारी ही नहीं कई चौकी प्रभारी भी जल्द हटेंगे।
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