यूपी: आज 11.30 बजे तक ही खुलेंगे स्कूल, सोमवार से फिर से बदल जाएगी टाइमिंग
यूपी के परिषदीय स्कूल शनिवार को दोपहर साढ़े 11 बजे बंद हो जाएंगे। हीट वेव को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। सोमवार से स्कूलों की टाइमिंग फिर से बदल जाएगी।
लखनऊ (आरएनआई) प्रदेश में परिषदीय व मान्यता प्राप्त विद्यालयों का समय 28 अप्रैल तक सुबह 7.30 बजे से 11.30 बजे तक किया गया है। 28 अप्रैल को रविवार पड़ रहा है। ऐसे में यह आदेश 27 अप्रैल को ही प्रभावी होगा। 29 अप्रैल से पूर्व की भांति विद्यालय सुबह 7.30 बजे से दोपहर एक बजे तक चलेंगे।
यह आदेश बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल ने सभी मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक व बीएसए को दिए हैं। विभाग के अनुसार 28 अप्रैल तक प्रदेश में हीट वेव चलने की जानकारी मौसम विभाग ने दी है। इसे देखते हुए विद्यालयों के समय में यह बदलाव किया गया है। अगर इसके बाद भी हीट वेव चलने की संभावना होगी तो आगे स्कूलों के समय में बदलाव किया जाएगा अन्यथा पूर्व निर्धारित समय के अनुसार विद्यालय चलेंगे।
शिक्षक नेताओं को बैठक के लिए सुबह व दोपहर में बायोमेट्रिक उपस्थिति से छूट दी गई है। बेसिक शिक्षा निदेशक की ओर से शासन के आदेश का हवाला देते हुए इस पर राहत दी है। सरकारी विभागों के मान्यता प्राप्त सेवा संघों के पदाधिकारियों को शासन, विभागाध्यक्ष, कार्यलयाध्यक्ष, मंडलायुक्त व डीएम के स्तर से उनकी मांगों के निराकरण के लिए आयोजित बैठकों में शामिल होना होता है। इसे देखते हुए कर्मचारी संगठनों की ओर से इस तरह की बैठकों के लिए बायोमेट्रिक उपस्थिति से छूट देने की मांग की गई थी। बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल ने शासन के निर्देश का हवाला देते हुए संघ के पदाधिकारियों को बायोमेट्रिक उपस्थिति से छूट दिए जाने के निर्देश दिए हैं। उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने शासन के इस निर्णय का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि इस आदेश के बाद शिक्षक नेताओं का बायोमेट्रिक उपस्थिति के नाम पर उत्पीड़न नहीं किया जा सकेगा।
प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में पढ़ रहे दिव्यांग बच्चों के दिव्यांगता से जुड़े सर्टिफिकेट नहीं बने हैं। इससे उनको इससे जुड़ी चीजों का लाभ लेने में दिक्कत आ रही है। इसे देखते हुए बेसिक शिक्षा विभाग ने संबंधित अधिकारियों से संपर्क कर, कैंप आयोजित कर सर्टिफिकेट बनवाने के निर्देश दिए हैं। समर्थ एप के डेटा के अनुसार इनकी संख्या लगभग तीन लाख है, किंतु इसमें से लगभग 25-30 फीसदी बच्चों का ही दिव्यांगता का प्रमाणपत्र बना हुआ है। अब बेसिक शिक्षा विभाग ने सभी बीएसए को निर्देश दिया है कि एक अभियान चलाकर नए सत्र में ऐसे बच्चों के दिव्यांगता प्रमाणपत्र बनवाए जाए ताकि ज्यादा से ज्यादा विभिन्न योजनाओं का लाभ ले सकें।
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