यूपी: 10 रुपये का स्टांप पेपर और प्रिंटर...ऐसे छाप डाले 500-500 के नोट, असली कौन सा नकली; पहचान कर पाना मुश्किल
नकली नोट छापने के गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश किया। 500-500 के नोट छापने में ये गिरोह माहिर है। खास बात ये है कि इस गिरोह द्वारा छापे गए नोटों की पहचान करना भी मुश्किल है कि कौन सा असली है और कौन सा नकली।
आगरा (आरएनआई) उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में पुलिस ने नकली नोट छापने वाले गिरोह का पर्दाफाश कर दिया। पुलिस ने दिल्ली के तेजेंद्र उर्फ तजेंद्र उर्फ काका और नगला लाले (एत्मादपुर) के सुभाष को गिरफ्तार कर लिया है। इसके साथ ही इस गिरोह के सरगना फिरोजाबाद का गैंगस्टर बिट्टू की तलाश की जा रही है। ये गिरोह 10 रुपये का स्टांप पेपर और प्रिंटर की मदद से 500 रुपये के नकली नोट छापता है।
एसीपी एत्मादपुर पियूषकांत राय ने बताया कि नकली नोट बनाने वाले के गैंग के बारे में सूचना मिली थी। बुधवार को आरोपियों को पकड़ लिया। पकड़ा गया आरोपी तेजेंद्र मूलरूप से मंगोलपुरी, नई दिल्ली का है। वर्तमान में नगला लाले में पकड़े गए अपने साथी सुभाष के घर में रह रहा था। पुलिस की पूछताछ में तेजेंद्र ने बताया कि पूर्व में उसे नकली नोट के मामले में दिल्ली और फिरोजाबाद पुलिस जेल भेज चुकी है।
हाल ही में फिरोजाबाद जेल में उसकी मुलाकात थाना लाइनपार स्थित गुदाऊ निवासी गैंगस्टर बिट्टू से हुई थी। बिट्टू लूट के मामले में बंद था। दोनों में दोस्ती हो गई। बिट्टू ने नकली नोट देने के बदले तेजेंद्र की 4 महीने पहले जमानत करा दी। खुद भी जेल से बाहर आ गया। वह मामा सुभाष के घर में तेजेंद्र से नोट छपवाने लगा। पुलिस अब बिट्टू की तलाश में लगी है।
पुलिस को तेजेंद्र ने बताया कि उसने यूट्यूब पर नोट तैयार करने वाले कई वीडियो देखे। इससे उसे नोट बनाने का तरीका आ गया। वह 500 के नोट को स्कैनर की मदद से स्कैन करता है। कंप्यूटर पर फोटोशाॅप और कोरेलड्राॅ साफ्टवेयर की मदद से नंबरों की सीरीज बदल देते हैं। वह फिरोजाबाद से 10 रुपये के स्टांप पेपर लेकर आया था। इन पर नोट का प्रिंट निकालते थे।
साफ्टवेयर की ही मदद से महात्मा गांधी वाॅटरमार्क इमेज तैयार करते थे। टि्रसिंग पेपर पर प्रिंट आउट दे देते थे। ट्रेशिंग फाइव स्टार फिल्म के माध्यम से वाॅटर मार्क का फिल्म सेटअप तैयार करते थे। नकली नोट पर वाॅटरमार्क दे देते थे। वाॅटरमार्क से महात्मा गांधी छापकर हूबहू असली की तरह नोट तैयार करते थे। वह हीट एम्बोजिंग मशीन से कागज पर हरे रंग की फ्वाइल की मदद से नोट पर सुरक्षा धागा भी देते थे। शीशे और पेपर कटर की मदद से नकली नोट को काटते थे।
थाना प्रभारी ने बताया कि फरार आरोपी बिट्टू तेजेंद्र को नोट बनाने का ठेका देता था। उसने 4 महीने में एक बार 1.50 लाख और दूसरी बार 50 हजार के नकली नोट तैयार करवा चुका है। इन नोटों को ग्रामीण इलाकों में आरोपी ले जाता था। इसके बाद शराब के ठेकों, ठेल वालों पर नोट चला दिए जाते थे। आशंका है कि नकली नोटों की सप्लाई करने वालों गैंग भी सक्रिय हो। तेजेंद्र वर्ष 2000 से अपराध कर रहा है। पहली बार बाइक चोरी में जेल गया था। इसके बाद वह नकली नोट में पड़ा गया। आशंका है कि उसके तार किसी बड़े गिरोह से जुड़े हो सकते हैं। अब पुलिस पड़ताल में लगी है।
आरोपियों के पास से सात हजार रुपये के नकली नोट, दो मोबाइल, एक लेपटॉप, एक माउसपैड, कार्ड रीडर, दो प्रिंटर, एक स्कैनर, एक यूएसबी हब, एक हीट एम्बोजिंग मशीन, एक वाॅटरमार्क फ्रेम सेटअप, एक बोतल केमिकल, दो हाइड्रोजन बोतल, एक डेबल ट्रे, 5 कलर के डिब्बे, एक वाॅटरमार्क महात्मा गांधी, 80 स्टाम्प पेपर (10 रुपये के) सहित तमाम उपकरण मिले। वही फरार आरोपी के लिए दबिश दी जा रही है।
नकली नोट का मामला पहली बार सामने नहीं आया। इससे पहले भी पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। सदर क्षेत्र में दो बार गिरोह पकड़ा गया था। वह भी प्रिंट करके नोट तैयार करते थे। वहीं एत्माद्दाैला क्षेत्र में बांग्लादेशी महिला पकड़ी गई थी। मामले की जांच एनआईए ने की थी।
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