‘यह अदालत है, बोट क्लब नहीं’: शीर्ष कोर्ट ने वकील के रवैये पर जताई सख्त नाराज़गी

सुप्रीम कोर्ट में वकील नेदुम्परा ने तर्क दिया कि बार न्यायाधीशों से डरता है। इस पर न्यायमूर्ति बी आर गवई ने कहा कि अधिवक्ता मैथ्यूज जे नेदुम्परा, यह कानून की अदालत है। भाषण देने के लिए बॉम्बे (मुंबई) का कोई बोट क्लब या आजाद मैदान नहीं है। जब आप कानून की अदालत को संबोधित करते हैं, तो कानूनी तर्क दें।

Jan 3, 2025 - 09:00
 0  486
‘यह अदालत है, बोट क्लब नहीं’: शीर्ष कोर्ट ने वकील के रवैये पर जताई सख्त नाराज़गी

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक वकील के रवैये पर तल्ख टिप्प्णी की। सुप्रीम कोर्ट ने वकील अधिवक्ता मैथ्यूज जे नेदुम्परा से कहा कि भाषण देने के लिए बॉम्बे (मुंबई) का कोई बोट क्लब या आजाद मैदान नहीं है। यह कानून की अदालत है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को वकीलों को वरिष्ठ पद दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। 

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका में वकीलों की ओर से जज पर लगाए गए 'अपमानजनक और निराधार आरोपों' पर आपत्ति जताई। न्यायमूर्ति बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए अधिवक्ता मैथ्यूज जे नेदुम्परा से पूछा, 'आप कितने न्यायाधीशों के नाम बता सकते हैं, जिनके बच्चों को वरिष्ठ वकील के रूप में नामित किया गया है?' इस पर नेदुम्परा ने अदालत से आंकड़े पेश करने की पेशकश की और तर्क दिया कि बार न्यायाधीशों से डरता है।

इस पर न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि अधिवक्ता मैथ्यूज जे नेदुम्परा, यह कानून की अदालत है। भाषण देने के लिए बॉम्बे (मुंबई) का कोई बोट क्लब या आजाद मैदान नहीं है। जब आप कानून की अदालत को संबोधित करते हैं, तो कानूनी तर्क दें। केवल गैलरी के उद्देश्य के लिए तर्क न दें। अदालत ने कहा कि वह उन्हें याचिका में संशोधन करने की स्वतंत्रता देने को तैयार है। पीठ ने कहा, 'यदि आप याचिका में संशोधन नहीं करते हैं, तो हम आवश्यक समझे जाने वाले कदम उठा सकते हैं।

याचिका में लगाए गए आरोपों का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि इसमें न्यायाधीशों के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं। पीठ ने कहा, 'हमें लगता है कि संस्थान के खिलाफ कई तरह के अपशब्द और निराधार आरोप लगाए गए हैं।' पीठ ने याचिका में लगाए गए आरोपों का हवाला देते हुए कहा, 'उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में वर्तमान या सेवानिवृत्त न्यायाधीश को ढूंढना मुश्किल है, अगर असंभव नहीं है, तो ऐसा कोई न्यायाधीश ढूंढना मुश्किल है, जिसकी संतान, भाई, बहन या भतीजा 40 वर्ष की आयु पार कर चुका हो और वह साधारण वकील हो।'

पीठ ने कहा कि वह मामले को आगे बढ़ाएगी, लेकिन अधिवक्ता मैथ्यूज जे नेदुम्परा याचिका के कथनों पर विचार करना चाहते हैं और भविष्य की कार्रवाई के बारे में अन्य याचिकाकर्ताओं से परामर्श करना चाहते हैं। 'क्या आप इन कथनों को हटाने जा रहे हैं या नहीं?' पीठ ने कहा, 'इस बात को स्पष्ट करें कि आप इन अपमानजनक कथनों को जारी रखेंगे या नहीं।' इस मामले में याचिकाकर्ताओं को चार सप्ताह का समय दिया गया। याचिका में आरोप लगाया गया है कि वकीलों को दो श्रेणियों में वर्गीकृत करना और अल्पसंख्यकों को 'पक्ष और विशेषाधिकार' प्रदान करना समानता की अवधारणा और संविधान के लोकाचार के विरुद्ध है।

Follow     RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

RNI News Reportage News International (RNI) is India's growing news website which is an digital platform to news, ideas and content based article. Destination where you can catch latest happenings from all over the globe Enhancing the strength of journalism independent and unbiased.