यमन में कैसे फंसी नर्स निमिषा प्रिया, क्यों सुनाई गई मौत की सजा?
यमन के युवक की हत्या के मामले में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को मौत की सजा सुनाई गई है। यमन के राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी ने मंजूरी दे दी है। उनको एक महीने में फांसी दी जानी है। आइए जानते हैं कि निमिषा प्रिया कौन हैं, वह कैसे यमन में फंस गईं, उनको मौत की सजा क्यों सुनाई गई और अब आगे क्या होगा?
नई दिल्ली (आरएनआई) यमन के युवक की हत्या के मामले में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को मौत की सजा सुनाई गई है। यमन के राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी ने मंजूरी दे दी है। उनको एक महीने में फांसी दी जानी है। अब भारत सरकार ने भी निमिषा की सजा माफ कराने की कोशिशें तेज कर दी हैं। केंद्र सरकार इस मामले में यमन की सरकार से बात कर सकती है।
केरल के पलक्कड़ जिले के कोलेंगोडे की रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया 2008 में अपने माता-पिता की मदद से यमन गईं थी। यहां उन्होंने कई अस्पतालों में काम किया। इसके बाद 2011 में वे भारत लौटीं और केरल के टॉमी थॉमस से शादी की। इसके बाद 2012 में पति-पत्नी वापस यमन चले गए। यमन की राजधानी सना में निमिषा ने फिर से नर्स का काम शुरू कर दिया। निमिषा एक बेटी को भी जन्म दिया। 2014 में आर्थिक तंगी हुई तो निमिषा के पति बेटी को लेकर वापस केरल आ गए। इसी वक्त यमन में गृह युद्ध शुरू हो गया और वीजा मिलने पर रोक लग गई। इसके चलते निमिषा के पति वापस यमन नहीं जा सके।
नर्स निमिषा प्रिया यमन में अपना क्लीनिक खोलना चाहती थीं। यमन के नियमों के मुताबिक वहां कोई भी व्यवसाय शुरू करने के लिए स्थानीय लोगों के साथ साझेदारी जरूरी है। इसलिए 2014 में निमिषा यमन के नागरिक तलाल अब्दो माहदी के संपर्क में आईं। इसके बाद 2015 में निमिषा ने माहदी के साथ साझेदारी में क्लीनिक खोला।
क्लीनिक खोलने के कुछ समय बाद 2015 में निमिषा एक महीने के लिए केरल आई। निमिषा के माहदी भी आया था। इस दौरान माहदी ने उसके घर से निमिषा की शादी की तस्वीर चुरा ली। इस तस्वीर में छेड़छाड़ करके माहदी ने खुद के निमिषा का पति होने का दावा किया। साथ ही उसने क्लीनिक के दस्तावेजों में भी हेराफेरी की। वह निमिषा को अपनी पत्नी बताकर उसकी मासिक आय से पैसे भी लेने लगा।
माहदी निमिषा को प्रताड़ित करता था। निमिषा ने आरोप लगाया था कि माहदी उसे और उसके परिवार को परेशान करने लगा। उसने निमिषा का पासपोर्ट भी जब्त कर लिया था। वह चाहता था कि निमिषा यमन छोड़कर न जाए। उसने कई बार निमिषा को धमकाया भी था। माहदी ने उससे क्लीनिक सारे पैसे और गहने भी ले लिए। निमिषा की मां ने आरोप लगाया कि एक बार निमिषा ने सना पुलिस ने शिकायत की तो पुलिस ने माहदी के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय उल्टा निमिषा को ही गिरफ्तार कर लिया। उसे छह दिन के लिए जेल में डाल दिया।
निमिषा की मां प्रेमा कुमारी ने बताया कि जब निमिषा जेल से छूटी तो उसे एक जेल वार्डन ने बताया कि वह माहदी को बेहोशी का इंजेक्शन लगा दे और अपना पासपोर्ट लेकर चली जाए। निमिषा ने वैसा ही किया। मगर माहदी नशे का आदी था, इसलिए उस पर इंजेक्शन का असर नहीं हुआ। इसके बाद निमिषा ने उसको ज्यादा दवा दे दी। दवा के ओवरडोज से माहदी की मौत हो गई। इसके बाद यमन से भागने की कोशिश करते समय निमिषा को गिरफ्तार किया गया।
2018 में उसे हत्या का दोषी ठहराया गया। 2020 में सना की एक ट्रायल कोर्ट ने उसे मौत की सजा सुनाई। यमन की सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2023 में फैसले को बरकरार रखा, लेकिन ब्लड मनी का विकल्प खुला रखा। ब्लड मनी पीड़ित के परिवार द्वारा तय किया जाने वाला मुआवजा है। उन्होंने ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ यमन के सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन 2023 में उनकी अपील खारिज कर दी गई। अब निमिषा की सजा को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है।
अप्रैल में निमिषा की मां प्रेमा कुमारी ने उनसे यमन की जेल में मुलाकात की थी। जेल से लौटीं निमिषा प्रिया की मां प्रेमा कुमारी ने एक वीडियो के जरिये अपनी भावना बयां करते हुए भारत और यमन सरकार को शुक्रिया भी कहा था। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी सरकार की दयालुता के कारण ठीक है। जब वह जेल में गईं, तो उनकी बेटी उन्हें दूर से देखते ही दौड़ लगाकर आई, और गले लगा लिया।
वह रोते-रोते मुझे मम्मी कहकर पुकार रही थी। निमिषा की मां वे कई सालों अपनी बेटी से मिलने के लिए प्रयास कर रहीं थी। दिसंबर 2023 में उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर यमन जाने की अनुमति मांगी थी, ताकि वे अपनी बेटी की मौत की सजा माफ करवा सकें। अनुमति मिलने के बाद वह भारत से यमन गईं थीं। वह अभी भी यमन में ही हैं और ब्लड मनी के लिए बातचीत कर रही हैं।
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