मौलाना अरशद मदनी पीएम की टिप्पणी से खफा; नीतीश-नायडू से अपील- वक्फ संशोधन विधेयक पारित होने से रोकें
मौलाना अरशद मदनी ने प्रधानमंत्री मोदी के 'वक्फ कानून का संविधान में कोई स्थान नहीं' वाले बयान की आलोचना की। उन्होंने कहा कि उन्हें पीएम से इस तरह के बयान की उम्मीद नहीं थी। मदनी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से वक्फ संशोधन विधेयक को पारित होने से रोकने की अपील की।
नई दिल्ली/पटना (आरएनआई) जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस टिप्पणी की आलोचना की, जिसमें उन्होंने कहा था कि 'वक्फ कानून का संविधान में कोई स्थान नहीं है।
पटना में संगठन द्वारा आयोजित 'संविधान बचाओ और राष्ट्रीय एकता' सम्मेलन मौलाना मदनी ने संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से वक्फ संशोधन विधेयक को पारित होने से रोकने की अपील की। मोदी सरकार इस संशोधन विधेयक को संसद के अगले सत्र के दौरान पेश कर सकती है।
मौलाना मदनी ने प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर हैरानी जताई और कहा कि कल वह यह भी कह सकते हैं कि नमाज, रोजा, हज और जकात का उल्लेख संविधान में कहीं नहीं है, इसलिए इन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। मदनी ने कहा कि अगर उन्हें संविधान के बारे में जानकारी नहीं है, तो वह विशेषज्ञों से जानकारी ले सकते थे। उन्होंने यह भी कहा कि अगर यह विधेयक संसद में पेश हुआ तो जमीयत हिंदू, अन्य अल्पसंख्यकों और सभी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा वाले लोगों के साथ मिलकर इसका विरोध करेगी। मौलाना मदनी ने कहा कि मुसलमान कोई भी नुकसान बर्दाश्त कर सकता है लेकिन 'शरीयत में कोई दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं कर सकता।'
मुस्लिम नेता ने कहा, 'प्रधानमंत्री को पता होना चाहिए कि वक्फ इस्लाम का अभिन्न अंग है और इसका उल्लेख हदीस में मिलता है, जो हमारे पैगंबर द्वारा कहे गए शब्द हैं।' उन्होंने कहा कि संविधान में देश के सभी अल्पसंख्यकों को धार्मिक स्वतंत्रता दी गई है और यह (वक्फ) इस धार्मिक स्वतंत्रता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मौलाना ने कहा कि यह हमारा धार्मिक मामला है, इसलिए इसकी रक्षा करना और इसे जीवित रखना हमारा धार्मिक कर्तव्य है।
मौलाना मदनी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोगी नीतीश और नायडू से आग्रह किया कि वे वक्फ विधेयक का समर्थन न करें। उन्होंने कहा कि ऐसा करना 'मुसलमानों की पीठ में छुरा घोंपने के समान होगा।' उन्होंने आगे कहा कि यह दोहरी राजनीति अब नहीं चल सकती कि आपको हमारा वोट मिले और सत्ता में आकर इस वोट का इस्तेमाल आप हमारे ही खिलाफ करें।
मौलाना मदनी ने भाजपा की 'नफरत की सियासत' और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा के बयान की भी आलोचना की, जिन्होंने झारखंड में मुसलमानों को घुसपैठिया करार दिया। उन्होंने कहा कि झारखंड में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा और यह इस बात का सबूत है कि मुसलमानों के साथ-साथ कई हिंदू भी हमारे साथ खड़े हैं। असम सीएम झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के प्रभारी थे।
परोक्ष रूप से जदयू प्रमुख नीतीश कुमार का जिक्र करते हुए मदनी ने कहा, 'राज्य की सत्तारूढ़ व्यवस्था वह बैसाखी है, जिस पर केंद्र खड़ा है। राज्य में मौजूद शक्तियां दावा करती हैं कि वे मुसलमानों को प्रताड़ित नहीं होने देंगी। अगर वे खुद को धर्मनिरपेक्ष कहते हैं तो उन्हें इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। यदि वे विचलित होते हैं, तो मुस्लिम समुदाय को यह निर्णय लेना होगा कि उन पर और भरोसा किया जाए या नहीं।
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