'मैं भगवान राम की इज्जत करता हूं, पर गोडसे से नफरत करता रहूंगा' : ओवैसी

ओवैसी ने पूछा 'क्या 22 जनवरी का पैगाम देकर ये सरकार यह बताना चाहती है कि एक मजहब को दूसरे मजहब को मानने वालों पर जीत मिली है? क्या संविधान इसकी इजाजत देता है?

Feb 10, 2024 - 15:04
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'मैं भगवान राम की इज्जत करता हूं, पर गोडसे से नफरत करता रहूंगा' : ओवैसी

नई दिल्ली (आरएनआई) लोकसभा में आज राम मंदिर निर्माण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा हो रही है। इस दौरान एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि 'मैं मर्यादा पुरुषोत्तम राम की इज्जत करता हूं, मगर नाथूराम गोडसे से मेरी नस्लें नफरत करती रहेंगी।' ओवैसी ने पूछा 'क्या मोदी सरकार एक समुदाय या एक मजहब की सरकार है या सभी पूरे देश की सभी मजहबों को मानने वालों की सरकार है? क्या इस सरकार का कोई मजहब है? मेरा मानना है कि इस देश का कोई मजहब नहीं है। क्या 22 जनवरी का पैगाम देकर ये सरकार यह बताना चाहती है कि एक मजहब को दूसरे मजहब को मानने वालों पर जीत मिली है? क्या संविधान इसकी इजाजत देता है?

ओवैसी ने कहा 'हमारे साथ 49 में धोखा हुआ, 86 में धोखा हुआ, 92 में धोखा हुआ और 2019 में भी इस लोकसभा में हमारे साथ धोखा हुआ। मुस्लिमों को हमेशा भारत के नागरिक होने के लिए बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। क्या मैं बाबर का, औरंगजेब का या जिन्ना का प्रवक्ता हूं? मैं मर्यादा पुरुषोत्तम राम की इज्जत करता हूं, लेकिन मेरी नस्लें भी नाथूराम गोडसे से नफरत करती रहेंगी, जिसने उस शख्स को गोली मारी, जिसके मुंह से आखिरी शब्द निकले थे हे राम।

जब ओवैसी बोल रहे थे तो भाजपा सांसद निशिकांत दुबे से पूछा कि वे इस बात का जवाब दे दें कि क्या वे बाबर को आक्रमणकारी मानते हैं या नहीं? इस पर ओवैसी ने उल्टा सवाल पूछते हुए कहा कि 'आप पुष्यमित्र शुंग को क्या मानते हैं? निशिकांत दुबे, असदुद्दीन ओवैसी से आज भी बाबर की बात पूछ रहे हैं। आप मुझसे गांधी के बारे में पूछते, जलियांवाला बाग के बारे में पूछते। मैं अपनी शिनाख्त को नहीं मिटने दूंगा। मैं वो काम नहीं करूंगा, जो भाजपा चाहती है। मैं संविधान के दायरे में रहकर ही काम करूंगा।' अपने संबोधन के आखिर में ओवैसी ने कहा, 'आज देश के लोकतंत्र का प्रकाश सबसे कम है। आखिर में मैं यही कहूंगा कि बाबरी मस्जिद है और रहेगी। बाबरी मस्जिद जिंदाबाद, भारत जिंदाबाद।

केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा कि रामजन्मभूमि आंदोलन से जुड़ी होने के नाते वह देश के संतों और जनता की तरफ से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अभिनंदन करती हैं। उन्होंने कहा कि राम मंदिर आंदोलन में कारसेवकों पर गोलियां चलाई गईं और ऐसा करने वाले लोग 'इंडिया' गठबंधन का हिस्सा हैं। भाजपा की नेता ने सवाल किया, 'क्या कांग्रेस ने कभी इस घटना पर दुख जताया?

वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के एम गुरुमूर्ति ने कहा कि सभी धर्मों के धार्मिक स्थलों का विकास किया जाए। जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद रामप्रीत मंडल ने कहा, 'सीता के बिना राम अधूरे हैं। सीतामढ़ी में भी एक भव्य मंदिर का निर्माण होना चाहिए जो मां सीता की जन्मस्थली है।

भाजपा के प्रताप सारंगी ने कहा कि भगवान राम को राजनीति के कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की जाती है। उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर कुछ लोगों ने सवाल किए। सारंगी ने कहा, 'भगवान राम हमारी आस्था हैं, उन पर सवाल उठाने का किसी को अधिकार नहीं हैं।' उन्होंने दावा किया कि अगर नरेन्द्र मोदी की सरकार नहीं होती और कांग्रेस की सरकार होती तो राम मंदिर नहीं बनता।

भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह ने राम मंदिर पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि, 'इस कालखंड में मंदिर बनते देखना और प्राण प्रतिष्ठा होना अपने में ऐतिहासिक है। भगवान राम सांप्रदायिक विषय नहीं हैं। श्रीराम केवल हिंदुओं के लिए नहीं, वो हम सबके पूर्वज और प्रेरणा हैं। राम के समय में हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई अलग-अलग मत, पंथ नहीं थे।

सिंह ने कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए दावा किया कि 2007 में रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच रामसेतु परियोजना पर तत्कालीन संप्रग सरकार ने उच्चतम न्यायालय में शपथपत्र दिया था कि राम नाम के कोई व्यक्ति नहीं हैं, वह काल्पनिक हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने राम को उस समय नकारा, इसलिए आज उनकी यह स्थिति है। सिंह ने कहा कि भगवान राम के अस्तित्व को नकारना अपनी संस्कृति, सभ्यता, विरासत को नकारना था।

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