मृदा संरक्षण व जल संचयन के साथ प्रभावी कीट नियंत्रण जरूरी: डा. तिरुमलाई
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हरदोई (लक्ष्मीकान्त पाठक) विश्व बैंक से संबद्ध सस्था सोलिडरीडेड नेटवर्क एशिया के वैज्ञानिक डॉ तिरुमालाई जो कि दक्षिण भारत के केंद्र शासित राज्य पुड्डुचेरी के रहने वाले हैं ने हरदोई जनपद में डीएससीएल शुगर रूपापुर क्षेत्र के ग्राम गुजीदेई में स्मार्ट एंग्री योजना के तहत सोलीडरीदाद व आइडिया बोडाफोन फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित कृषक कार्यशाला में किसानों को जल संचयन,कीट नियंत्रण, मृदा संरक्षण पर्यावरण के बारे में विस्तार से बताते हुये कहा कि किसानों को संस्था द्वारा उपलब्ध करायें गये बायो डायजेस्टर से दोहरा लाभ लेना चाहिए। इससे जहां एक ओर बायोगैस से रसोई में ईंधन की आपूर्ति हो रही है वहीं दूसरी ओर बायोगैस से निकलने वाले अवशेष को इकट्ठा कर इसमें ट्राइकोडर्मा ,पीवीसी,वावेरिया आदि मिलाकर खेतों में प्रयोग करना चाहिए इससे खेतों की मृदा मजबूत होने के साथ प्रभावी कीट नियंत्रण भी हो सकेगा। जिससे किसानों की उपज में बृद्धि होगी। आयोजित कार्यशाला मे डाक्टर तिरुमलाई ने दीमक जैसे भयकर कीट से फसलो के बचाने के लिए प्रभावी रोकथाम की जरुरत बताते हुये बताया कि दीमक फसलो मे भयकर नुकसान पहुचाने वाला कीट है।दीमक फसलो मे 4भागो मे बटी रहती है राजा दीमक,रानी दीमक ये जमीन मे 4 फीट गहरे मे रहती है।इसके आस पास सैनिक दीमक बनी रहती है।श्रमिक दीमक फसलो की जडो को काटकर खाना लाती है।इसके रोकथाम हेतु तमाम दवाएं बाजार मे है लेकिन रानी दीमक न पहुंच पाने के कारण वह मर नही पाती जबकि वह एक दिन मे 20000 अण्डे देकर नयी दीमक पैदा कर देती है।उन्होने बताया कि बायोवेरिया नामक उत्पाद जिसको2किलो/प्रति 2कुन्टल गोबर की खाद मे मिलाकर 48से72घन्टे बाद एक एकड खेत मे डाल देना चाहिए।इससे श्रमिक दीमक सक्रमित होकर रानी के पास भोजन लेकर जायेगी इससे रानी भी सक्रमण का शिकार हो जायेगी इस प्रकार रानी के खत्म होते ही दीमक जैसे कीट से किसानो को निजात मिल जायेगी और हमारा किसान खुशहाल हो पायेगा।दीमक से तत्काल राहत पाने के लिये गन्ने मे क्लोरोपायरीफास 50ईसी का प्रयोग करने को कहा ।वायोवेरिया का प्रयोग प्रति तीसरे माह करने की सलाह दी।इस अवसर सोलीडरीदाद के कोआर्डिनेट प्रदीप सोलंकी, सुपरवाइजर राजकुमार, विपिन सिंह के अलावा किसान लक्ष्मीकांत पाठक,आमोद, चतुरलाल समेत दर्जनों किसान मौजूद रहे।
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