मुसीबत में ज़ुकेरबर्ग, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप से धोना पड़ सकता है हाथ
यह मुकदमा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में शुरू हुआ था। 2020 में दाखिल इस केस में फेडरल ट्रेड कमीशन (FTC) ने Meta पर आरोप लगाया था कि उसने इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप को प्रतिस्पर्धा खत्म करने और सोशल मीडिया पर अवैध रूप से एकाधिकार बनाने के इरादे से खरीदा था।

नई दिल्ली (आरएनआई) टेक्नोलॉजी की दिग्गज कंपनी Meta एक ऐतिहासिक एंटीट्रस्ट ट्रायल का सामना कर रही है, जो कंपनी को इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप को अलग करने के लिए मजबूर कर सकता है। Meta ने इन दोनों स्टार्टअप्स को एक दशक पहले खरीदा था और अब ये कंपनी के सबसे बड़े बिजनेस पिलर बन चुके हैं।
यह मुकदमा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में शुरू हुआ था। 2020 में दाखिल इस केस में फेडरल ट्रेड कमीशन (FTC) ने Meta पर आरोप लगाया था कि उसने इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप को प्रतिस्पर्धा खत्म करने और सोशल मीडिया पर अवैध रूप से एकाधिकार बनाने के इरादे से खरीदा था।
FTC के मुताबिक मार्क जकरबर्ग की रणनीति “प्रतिस्पर्धा से बेहतर है खरीदना” पर अमल करते हुए फेसबुक ने उन कंपनियों को खरीदा जो उसके लिए खतरा बन सकती थीं। इसी योजना के तहत पहले इंस्टाग्राम को और फिर व्हाट्सएप को खरीदा गया।
फेसबुक ने 2012 में इंस्टाग्राम को करीब 1 बिलियन डॉलर में खरीदा था। उस वक्त यह एक छोटी फोटो-शेयरिंग एप थी। इसके दो साल बाद, 2014 में फेसबुक ने व्हाट्सएप को 22 बिलियन डॉलर में खरीदा। इन दोनों प्लेटफॉर्म्स ने फेसबुक को मोबाइल यूजर्स के बीच फिर से लोकप्रिय बनाने में मदद की, खासतौर पर युवा पीढ़ी में।
FTC का कहना है कि फेसबुक ने जानबूझकर उन नई कंपनियों को खरीदा जो भविष्य में उसकी प्रतिस्पर्धी बन सकती थीं, हालांकि Meta का कहना है कि यह मुकदमा "हकीकत से परे है" और आज इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, फेसबुक सब TikTok, YouTube, iMessage और X जैसी सेवाओं के साथ बराबरी से प्रतिस्पर्धा करते हैं।
अगर कोर्ट Meta के खिलाफ फैसला देता है, तो कंपनी को इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप को अलग करना पड़ सकता है। इसका सीधा असर Meta की कमाई पर पड़ेगा, 2025 तक इंस्टाग्राम अकेला अमेरिका में Meta की 50.5% एड रिवेन्यू का स्रोत बनने जा रहा है।
आज सोशल मीडिया बाजार में TikTok, Snapchat, YouTube जैसे कई और बड़े खिलाड़ी हैं, जिससे FTC के लिए Meta का एकाधिकार साबित करना चुनौतीपूर्ण होगा। यह मुकदमा Meta के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी टेक इंडस्ट्री के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है। Google और Amazon जैसी कंपनियां भी इसी तरह के एंटीट्रस्ट मामलों का सामना कर रही हैं।
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