मुडा जमीन आवंटन मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाएगी या नहीं, हाईकोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला
मुडा मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाएगी या कोई दूसरा विकल्प अपनाया जाएगा, कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि लोकायुक्त पुलिस मुख्यमंत्री के खिलाफ निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती है।
बेंगलुरु (आरएनआई) मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) के जमीन आवंटन मामले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जैसी एक स्वतंत्र एजेंसी को सौंपी जाए या नहीं, कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह मामला मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पत्नी पार्वती बी एम, उनके साले मल्लिकार्जुन स्वामी और उन्य से जुड़ा है। याचिकाकर्ताओं ने अदालत से इस मामले को सीबीआई या किसी अन्य स्वतंत्र एजेंसी को सौंपने की मांग की थी।
लोकायुक्त पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है और उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि राज्य का लोकायुक्त पुलिस विभाग मुख्यमंत्री के खिलाफ निष्पक्ष जांच नहीं कर सकता है। हाईकोर्ट के जज जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कहा, इस अदालत में इस मामले में याचिका दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) धारा 226 और 482 के तहत दायर की गई थी, जिसमें मांग की गई थी कि मामले की जांच सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए या फिर कोई अन्य विकल्प अपनाया जाए।
जस्टिस नागप्रसन्ना ने अपनी अदालत द्वारा समय-समय पर दिए गए आदेशों का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा, सत्र अदालत के आदेश को 28 जनवरी 2025 तक के लिए टाल दिया गया था। इसलिए जो रिपोर्ट संबंधित अदालत ने लोकायुक्त को देने का आदेश दिया था, उसे 28 जनवरी से पहले पेश किया जाना चाहिए था। उन्होंने आगे कहा, मामले की लंबी सुनवाई के मद्देनजर मैने यह उचित समझा कि फैसले की घोषणा तक इसे स्थगित रखा जाए। फैसला सुरक्षित है।
मुडा का काम मैसूर में शहरी विकास को बढ़ावा देना, बुनियादी ढांचे का विकास करना और लोगों को किफायती कीमत पर आवास उपलब्ध कराना है। मुडा ने साल 2009 में शहरी विकास के चलते अपनी जमीन खोने वाले लोगों के लिए एक योजना 50:50 पेश की थी। इस योजना के तहत जिन लोगों की जमीन अधिग्रहित की जाएगी, उन्हें मुडा द्वारा विकसित भूमि की 50 फीसदी जमीन के प्लॉट आवंटित किए जाएंगे। हालांकि साल 2020 में तत्कालीन भाजपा ने सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया था। लेकिन योजना बंद होने के बाद भी मुडा ने 50:50 योजना को जारी रखा और इसके तहत जमीनों का अधिग्रहण और आवंटन जारी रखा।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी की मैसूर में केसारे गांव में 3 एकड़ और 16 गुंटा भूमि थी, जो पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुन ने उपहार स्वरूप दी थी। मुडा द्वारा साल 2021 में पार्वती की जमीन को अधिग्रहित की गई। इसके बदले में एक महंगे इलाके में पार्वती को 14 साइटें आवंटित की गईं। आरोप है कि मुडा ने इस जमीन का अधिग्रहण किए बिना ही देवनूर तृतीय चरण की योजना विकसित कर दी।
मुआवजे के लिए मुख्यमंत्री की पत्नी पार्वती ने आवेदन किया जिसके आधार पर, मुडा ने विजयनगर III और IV फेज में 14 साइटें आवंटित कीं। यह आवंटन राज्य सरकार की 50:50 अनुपात योजना के तहत कुल 38,284 वर्ग फीट का था। जिन 14 साइटों का आवंटन मुख्यमंत्री की पत्नी के नाम पर हुआ उसी में घोटाले के आरोप लग रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि पार्वती को मुडा द्वारा इन साइटों के आवंटन में अनियमितता बरती गई है।
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