मुजफ्फरपुर का एक ऐसा दुर्गास्थान जहा साढे तीन सौ वर्ष से बैठती है मां की प्रतिमा, पौराणिक पांडुलिपि पद्धति से होती है पूजा
मुजफ्फरपुर (आरएनआई) मुजफ्फरपुर का एक ऐसा दुर्गास्थान जहा तीन सौ सालों से ज्यादा से माता दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर आज भी पौराणिक पांडुलिपि पद्धति से पूजा पाठ की जाती है. ऐसा माना जाता है की यहां आज भी हस्तलिखित पूजा पद्धति पांडुलिपि मे उपलब्ध है.
दरअसल शहर के बाह्रमणटोली महामाया बाबू लेन स्थित दुर्गास्थान में माता की प्रतिमा स्थापित कर तीन सौ सालों से ज्यादा से पूजा पाठ किया जा रहा है, वही छठी के दिन पूजन कर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मां दुर्गा के नेत्र खुल दी गई. मां दुर्गा का बिल्वामंत्रण, आवाहन, बोधन, आमंत्रण एवं अधिवास के साथ पूजन वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ आचार्य डाॅ चंदन उपाध्याय ने कराया. वही पूजन के बाद माता को भोग लगाकर महाआरती की गयी. पूजन कर्म के दौरान भगवती को वर्षा का जल,विभिन्न तीर्थो का जल,समुद्र का जल,ओस के जल के साथ साथ 44 प्रकार के मिट्टी से स्नान कराया गया।
पूजन आचार्य डाॅ चंदन उपाध्याय ने बताया कि मुजफ्फरपुर शहर के सबसे प्राचीनतम शारदीय दुर्गापूजा बाह्रमणटोली दुर्गास्थान स्थित पंडित महामाया प्रसाद मिश्र के निवास स्थान पर विगत साढे तीन सौ वर्ष पूर्व से लगातार पूजा होती आ रही है।सदियों से मां की प्रतिमा एक जैसी ही रहती है मां दुर्गा माता लक्ष्मी,माता सरस्वती,भगवान कार्तिकेय, भगवान गणेश ,माथे पर भगवान शिव के साथ साथ महिषासुर के साथ रहती है.
पूजा यजमान प्रमोद कुमार ओझा, हर्ष, अंशुमन, गुंजन उपाध्याय ने पूजा संपन्न किया. पूजा के दौरान भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी प्रभात मालाकार, पंडित ध्रुव दूबे, प्रेमशंकर मिश्र, अमीत कुमार, अर्थ, समर्थ, हेमंत कुमार, अनंत आदि मौजूद रहे.
What's Your Reaction?