मुख्यमंत्री और सांसद एवं केंद्रीय मंत्री के निर्देश पर भूमाफिया तथा कॉलोनाइजर पर कब होगी कार्यवाही?
130 कोलोनाइजरों ओर भूमाफियाओं पर अब तक नही हुई वैधानिक दंडात्मक कार्यवाही! 100 अधिक अवैध छोटी बड़ी कॉलोनियों की रिपोर्ट ठंडे बस्ते में हितबद्ध कर्मियो ने दबाई।
गुना (आरएनआई) पूर्व कलेक्टर ने fir कर जेल भेजने की दी थी मीडिया को जानकारी उल्लेखनीय हैं कि जिला एवं शहर किसी व्यक्ति ने कब्जा किया तो दूसरे ने देखादेखी जमीन पर किया ओर फिर होड़ शुरू हो जाती हैं जिसके चलते सरकारी भूमि का लगातार दोहन हुआ।
इन्ही जमीनों को कब्जा करके अवैधानिक तरीके से निर्माण करके सरकारी दस्तावेजों में कूटनीति से गड़बड़ी करा कर अपने नाम चड्वा कर फिर रिकार्ड ही गायब करवा दिया जाता हैं। जिला प्रशासन चाहे तो 1956 के जिल्द बंदोबस्त से दस्तावेज और रजिस्ट्रियो तथा खसरो_रकबा चेक करे तो बड़ा खेल जो राजस्व कर्मियो की मिलीजुगत से फलफूल रहा हैं बह उजागर हो जाएगा। वही फुटपाथ से कुछ ही सालों में करोड़पति से अरब पति बनने जा रहे कई भूमाफिया जेल में होगे।
बता दे कि गुनिया नदी,भुजरियां तालाब,सिंहवासा तालाब, पनारियां नदी,सरकारी गली, कुएं से लेकर विक्रय निषेध भूमि, भूदान की भूमि,मंदिर माफी की जमीन (जिसके प्रबंधक कलेक्टर स्वयं होते हैं) से लेकर पट्टे की जमीन,सहरीया,आदिवासियों,फोरेस्ट की जमीन जो खेती और आजीविका को शासन ने दी हैं उसके साथ मरघटशाला,कब्रिस्तान, पार्क, स्कूल, वृद्धाआश्रम के सहित शासन की भूमि भू माफियाओं के पास केसे पहुंच गई। जो इसका बहुत बड़ा जीवंत उदाहरण हैं। वही सरकारी पट्टे, आरक्षित वर्ग और आदिवासियों की भूमि के साथ मंदिर माफी की जमीन के साथ नजूल की भी कूटनीतिक तरीको से षड्यंत्र पूर्वक लगातार हड़पी जा रही हैं। जिनमे राजनेतिक लोग और शासकीय राजस्व कर्मियो और प्रशासनिक कर्मियो की लिप्तता से इंकार नही किया जा सकता हैं। नही तो ये उक्त भूमिया आज शासन के पास होती। सूत्र बताते ही कि ये आरक्षित जमीन शासकीय दस्तावेजो के अनुसार विभिन्न सर्वे नंबर,खसरा कि सरकारी और पट्टे की जमीन भू माफियाओं के कब्जे में आकर बिक चुकी। अब सरकार के चलने वाले अभियान से राजस्व महकमा और प्रशासन अपनी जमीन मुक्त करा कर अवेध निर्माण को जमीदोज कर सकते हैं। वैसे भी संसदीय क्षेत्र से लोकसभा में पहुंचे ज्योतिरादित्य सिंधिया आज केंद्रीय मंत्री के रूप में कई बार खुले सार्वजनिक मंच,मीटिंगों में भूमाफियाओं,राशन माफियाओं के सहित 5 प्रमुख सिद्धांतो पर मुख्यरूप से कार्य करनें में अपनी प्राथमिकता बता चुके हैं। जिनमें वन विभाग में अभियान की शुरुआत हुई हैं। वही राजस्व भूमि को मुक्त कराने में कार्यवाही शिथिल हैं।
देखना अब यह हैं कि प्रशासन शासन और केंद्रीय मंत्री के निर्देश पर कार्य को। अंजाम देने निंद्रा से कब तक जागते हैं या उनके अधीनस्थ अधिकारियों जो विभिन्न विभाग के आज प्रमुख हैं उन्हें गुमराह करते हैं? जनहित,शासन हित में समाचार प्रकाशित
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