मानवाधिकार दिवस के उपलक्ष्य में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन

Dec 9, 2022 - 21:19
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मानवाधिकार दिवस के उपलक्ष्य में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन

मथुरा। उ०प्र०राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ तथा माननीय जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मथुरा श्री राजीव भारती जी के निर्देशानुसार मानवाधिकार दिवस दिनांक 10 दिसम्बर 2022 के पूर्व दिवस पर आज दिनांक 09.12.2022 को प्रातः 11:30 बजे से खजानी इंस्टीट्यूट, मथुरा में एक विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता श्रीमती नीरू शर्मा, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश / सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मथुरा द्वारा की गई। इस अवसर पर स्थायी लोक अदालत की सदस्या सुश्री प्रतिभा शर्मा, खजानी इंस्टीट्यूट की निर्देशक श्रीमती शिप्रा राठी, श्रीमती रूपा अग्रवाल आदि सहित छात्रायें, महिलाएं उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारम्भ श्रीमती नीरू शर्मा, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश / सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मथुरा द्वारा माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित कर किया गया।

कार्यक्रम का संचालन सुश्री प्रतिभा शर्मा, सदस्या, स्थायी लोक अदालत, मथुरा द्वारा करते हुए बताया गया कि अंतर्राष्ट्री मानवाधिकार दिवस पूरे विश्व में प्रतिवर्ष 10 दिसम्बर को मनाया जाता है। इस साल भी यह धूमधाम से मनाया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने 10 दिसम्बर 1948 को विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र जारी कर प्रथम बार मानवों के अधिकार के बारे में बात रखी थी। हालांकि आधिकारिक तौर पर इस दिन की घोषणा 1950 में हुई। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 10 दिसम्बर 1948 को घोषणा पत्र को मान्यता दिए जाने पर 10 दिसम्बर का दिन मानवाधिकार दिवस के लिए निश्चित किया गया। सुश्री प्रतिमा शर्मा द्वारा स्थायी लोक अदालत के सम्बंध में बताते हुए कहा कि विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 की धारा 22बी के अंतर्गत स्थायी लोक अदालत का गठन पत्येक जनपद में किया गया है। स्थायी लोक अदालत द्वारा जनहित सेवाओं से सम्बंधित विवादों का निस्तारण मुकदमा दायर होने से पहले आपसी सुलह-समझौते के आधार पर किया जाता है। जनहित सेवाओं से पीड़ित कोई भी व्यक्ति अपने विवादों के निपटारे के लिए स्थायी लोक अदालत में आवेदन कर सकता है।

अध्यक्षता करते हुए श्रीमती नीरू शर्मा, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश / सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मथुरा द्वारा मानवाधिकार दिवस का महत्व बताते हुए अवगत कराया गया कि समाज के विभिन्न वर्गों में मानवाधिकारों के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से इस दिवस का आयोजन किया गया है। इन अधिकारों में प्रमुख हैं :- समानता का अधिकार, जीवन का अधिकार, समान अवसर का अधिकार, लैंगिक समानता का अधिकार, भाषायी एवं धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग के अधिकार और इन सबसे महत्वपूर्ण इन अधिकारों के प्रवर्तन हेतु देश की सर्वोच्च अदालत को सीधे याचिका प्रस्तुत कर अनुतोष प्राप्त करने का अधिकार।

श्रीमती नीरू शर्मा द्वारा विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा दी जा रही विभिन्न सेवाओं के सम्बंध में बताया गया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा दी जा रही निशुल्क विधिक सेवाओं का अनुचित जाति, जनजाति, महिलाएं 60 साल के अधिक उम्र के व्यक्ति, शारीरिक रूप से असमर्थ व्यक्ति लाभ ले सकते है। इसके अलावा गरीबी रेखा से नीचे आने वाले लोग भी यह सुविधा ले सकते हैं। ऐसा कोई व्यक्ति जिस पर मानहानि का आरोप लगा हुआ है वो मुफ्त कानूनी सुविधा का फायदा नहीं उठा सकता। एक अधिवक्ता आपको अच्छे कानून से जुड़ी जानकारी दे सकता है परन्तु अधिवक्ता की महंगी फीस देना सबके बस की बात नहीं है। ऐसे में गरीब लोग आवश्यकता होने पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से निशुल्क विधिक सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

लोक अदालत के सम्बंध में बताते हुए कहा कि लोक अदालत सुलह कराने की नियत से शुरू की गई थी। यह कोई तंत्र है जिसके जरिए कानूनी विवादों को अदालत के बाहर हल कर लिया जाता है। इसे लोगों की अदालत भी कहते हैं। लोक अदालत का आदेश या फैसला आखिरी होता है। इसके फैसले के बाद कहीं अपील नहीं की जा सकती। लोक अदालत सभी दीवानी मामलों, वैवाहिक विवाद, भूमि विवाद, बंटवारे या संपत्ति विवाद, श्रम विवाद आदि गैर आपराधिक मामलों का निपटारा करती है। लोक अदालत से आम जनमानस को यह फायदा है कि कोर्ट फीस नहीं लगती है, पुराने मुकदमे की कोर्ट फीस वापस हो जाती है, किसी पक्ष को सजा नहीं होती, मामले को बातचीत के बाद हल कर लिया जाता है। मामले का निपटारा जल्दी हो जाता है आदि। उपस्थित छात्राओं, महिलाओं को बताया गया कि प्री-लिटिगेशन वैवाहिक वादों का लोक अदालत में आसानी से समाधान करा सकते हैं, जिसके लिए पति-पत्नी के विवाद का संक्षिप्त विवरण देते हुए विधिक सेवा प्राधिकरण में प्रार्थनापत्र दिया जायेगा। परिवार न्यायाधीश एवं मध्यस्थ द्वारा विपक्षी को बुलाकर सुलह-समझौता से समाधान कराकर लोक अदालत में निर्णय पारित किया जायेगा। 

कार्यक्रम के अंत में खजानी इस्टीट्यूट की निर्देशक श्रीमती शिप्रा राठी द्वारा उपस्थित सभी का आभार व्यक्त किया गया।

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