माकपा ने किया सीएम विजयन के सनातन धर्म वाले बयान का बचाव, कहा- इसे सभी को स्वीकार करना चाहिए
शिवगिरी में आयोजित तीर्थ सम्मेलन में उद्घाटन के दौरान सीएम पिनाराई विजयन ने कहा था कि सनातन धर्म और कुछ नहीं बल्कि 'वर्णाश्रम धर्म' (जाति आधारित सामाजिक व्यवस्था) है, जिसे गुरु ने चुनौती दी थी और उस पर विजय पाई थी। गोविंदन ने कहा कि शिवगिरी तीर्थयात्रा के उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री का बयान स्पष्ट है और सभी को इसे स्वीकार करना चाहिए।
तिरुवनंतपुरम (आरएनआई) माकपा ने केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन के सनातन धर्म पर दिए गए बयान का समर्थन किया है। माकपा के केरल राज्य सचिव एमवी गोविंदन ने कहा कि संत-समाज सुधारक श्री नारायण गुरु को सनातन धर्म से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है, जो चातुर्वर्ण्य प्रणाली पर आधारित है। गोविंदन ने कहा कि शिवगिरी तीर्थयात्रा के उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री का बयान स्पष्ट है और सभी को इसे स्वीकार करना चाहिए।
उन्होंने कांग्रेस नेता वीडी सतीशन के बयान को लेकर भी आपत्ति जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि सतीशन सनातन धर्म पर भाजपा-आरएसएस के तर्कों को सफेद करने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा-आरएसएस गठबंधन गुरु के आदर्शों को सनातन धर्म के साथ मिलाने की कोशिश कर रहा है, जो कि चातुर्वर्ण्य व्यवस्था पर आधारित है। उनका अंतिम विचार संविधान को बदलना और उस प्रणाली के आधार पर हिंदू राष्ट्र बनाना है।
शिवगिरी में आयोजित तीर्थ सम्मेलन में उद्घाटन के दौरान सीएम पिनाराई विजयन ने कहा था कि सनातन धर्म और कुछ नहीं बल्कि 'वर्णाश्रम धर्म' (जाति आधारित सामाजिक व्यवस्था) है, जिसे गुरु ने चुनौती दी थी और उस पर विजय पाई थी। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा समर्थित नए युग का 'मानवतावादी धर्म' समय के साथ खड़ा है। गुरु को सनातन धर्म के ढांचे में बांधने की कोशिश करना संत का बहुत बड़ा अपमान है।
सीएम के बयान को लेकर कांग्रेस नेता वीडी सतीशन ने कहा था कि सनातन धर्म एक सांस्कृतिक विरासत है। इसमें अद्वैत, 'तत त्वम् असि', वेद, उपनिषद और उनका सार समाहित है। इसे केवल संघ परिवार से जोड़ना भ्रामक है।
मुख्यमंत्री के बयान पर भाजपा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी और कहा कि सीएम विजयन ने शिवगिरी की पवित्र भूमि पर सनातन धर्म का अपमान किया है। भाजपा ने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने श्री नारायण गुरु के अनुयायियों का अपमान किया है। भाजपा नेता वी. मुरलीधरन ने कहा विजयन के भाषण का मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म से नफरत करना था। उनका बयान उदयनिधि स्टालिन के उस बयान का विस्तार था, जिसमें उन्होंने कहा था कि सनातन धर्म को खत्म करना चाहिए।
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