मां अन्नपूर्णा देवी मंदिर में धूमधाम से मनाया गया जयंती महोत्सव
वृन्दावन। प्रेम गली (बनखंडी) स्थित मां अन्नपूर्णा देवी मंदिर में मार्गशीर्ष शुक्ला पूर्णिमा के दिन मां अन्नपूर्णा देवी का जयंती महोत्सव अत्यंत श्रद्धा व धूमधाम से संतों-विद्वानों की उपस्थिति में मनाया गया।सर्वप्रथम मां अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक कर वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य पूजन-अर्चन किया गया।
इस अवसर पर दीप प्रज्वलन के साथ प्रारम्भ हुई संत-विद्वत संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. आदित्यानंद महाराज व महामंडलेश्वर स्वामी कृष्णानंद महाराज ने कहा कि मां अन्नपूर्णा देवी साक्षात मां शक्ति का रूप हैं।इनकी आराधना करने वाले व्यक्ति के घर में सदैव अन्न के भंडार भरे रहते हैं।मां अन्नपूर्णा देवी कभी अपने भक्तों को भूखा नहीं रहने देती हैं।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी व आचार्य रामनिहोर त्रिपाठी ने कहा कि प्रेम गली (बनखंडी) स्थित मां अन्नपूर्णा देवी मंदिर में विराजित देवी की प्रतिमा अत्यंत प्राचीन व चमत्कारी है।इनके दर्शन व पूजन करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
आचार्य रामविलास चतुर्वेदी व धर्मरत्न स्वामी बलरामाचार्य महाराज ने कहा कि भारतीय वैदिक संस्कृति में अन्न की पूजा की जाती है।क्योंकि ये हमें मां अन्नपूर्णा देवी की कृपा से ही प्राप्त होता है।इसीलिए हम सभी को मां अन्नपूर्णा की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
पंडित बिहारीलाल शास्त्री व डॉ. राधाकांत शर्मा ने कहा कि मां अन्नपूर्णा देवी मंदिर में देवी की सेवा-पूजा अत्यंत श्रद्धा व विधि-विधान से की जाती है।यहां वर्ष के दोनों नवरात्रों में शतचंडी महोत्सव की अत्यधिक धूम रहती है।जिसके दर्शनों के लिए दूर-दूर के भक्त-श्रृद्धालु यहां प्रतिवर्ष आते हैं।
संगोष्ठी में ब्रजवासी जगद्गुरु कृष्णकन्हैया पदरेणु, स्वामी सत्यानंद महाराज, आशीष गोस्वामी, बालकृष्ण गोस्वामी, अशोक गोस्वामी, प्रदीप गोस्वामी (बिंदु), करनकृष्ण गोस्वामी, रमेशचंद्र गौतम "मस्तराम", बाबा कर्मयोगी महाराज, बालो पंडित, ब्रजेश गिरि, गोपाल शर्मा, श्रीगोपाल वशिष्ठ, शिवशंकर वशिष्ठ, देवेश वशिष्ठ, लक्ष्मीकांत कौशिक, पंडित रामनिवास गुरुजी, जयगोपाल शास्त्री, कुलदीप दुबे, परेश अधिकारी, गोपाल भैया, जुगेंद्र भारद्वाज(गुरुजी), लक्ष्मीकांत कौशिक, पंडित रसिक शर्मा, शिवेंद्र शर्मा, कुलदीप दुबे, आनंदबिहारी शर्मा, विष्णुकांत ब्रजवासी, जुगल गोस्वामी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन आचार्य रामविलास चतुर्वेदी व धन्यवाद ज्ञापन श्रीगोपाल वशिष्ठ ने किया।
मन्दिर के सेवायत पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ ने सभी संतों- विद्वानों का माल्यार्पण कर व शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया। महोत्सव का समापन स्वल्पाहार के साथ हुआ।
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