महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद एक्शन में चुनाव आयोग, 'वोट जिहाद' जैसे विवादित जुमलों की जांच तेज
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में तमाम नारों का इस्तेमाल किया गया, इसमें 'वोट जिहाद' जैसे तमाम जुमलों का इस्तेमाल किया गया। वहीं चुनाव आयोग के अधिकारियों के मुताबिक, आयोग इस्तेमाल किए गए ऐसे सभी शब्दों की जांच की जा रही है।
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मुंबई (आरएनआई) महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद नतीजे और यहां तक की राज्य में सरकार का गठन भी हो चुका है। लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान नेताओं की तरफ से इस्तेमाल किए गए विवादित जुमलों को लेकर चुनाव आयोग अब कार्रवाई करने में जुट गया है। एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि हाल ही में संपन्न महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में चुनाव प्रचार के दौरान कुछ राजनीतिक दलों की तरफ से इस्तेमाल किए गए 'वोट जिहाद' जैसे विवादास्पद जुमले भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) की जांच के दायरे में हैं।
महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. किरण कुलकर्णी ने यह भी कहा कि राज्य चुनावों के दौरान चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के 650 से अधिक मामले दर्ज किए गए, और प्रवर्तन एजेंसियां यह सुनिश्चित करेंगी कि इन मामलों को निष्कर्ष तक पहुंचाया जाए। वहीं जब उनसे 'वोट जिहाद' के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, ईसीआई आगे की कार्रवाई करने से पहले कानूनी, भाषाई और सामाजिक क्षेत्रों में इसके निहितार्थों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण कर रहा है... हमें 'वोट जिहाद' जैसे शब्दों से बहुत सावधान रहना चाहिए क्योंकि इनके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
उन्होंने कहा, 'यह एक नया मुहावरा है, जिसके लिए गहन अध्ययन की आवश्यकता है। इसमें कानूनी, भाषाई, सामाजिक और धार्मिक पहलुओं पर विचार किया जाना चाहिए। मुख्य निर्वाचन अधिकारी, मैं और तमाम ईसीआई अधिकारी इसका विश्लेषण कर रहे हैं और इन सभी पहलुओं की व्यापक समीक्षा के बाद हम उचित निर्णय लेंगे। इस दौरान यह पूछे जाने पर कि क्या इस तरह के विवादास्पद जुमलों ने चुनावी प्रचार को प्रभावित किया है, तो एसीईओ कुलकर्णी ने जल्दबाजी में निष्कर्ष निकालने के खिलाफ चेतावनी दी। उन्होंने कहा, यह एक लंबी प्रक्रिया है। शब्दों और उनके संदर्भों को अच्छी तरह से परिभाषित और विश्लेषित करने की आवश्यकता है। नई शब्दावली के लिए कोई सख्त कानूनी ढांचा नहीं है, इसलिए हमें ऐसे मामलों को सावधानीपूर्वक संभालना चाहिए, उनके परिणामों को ध्यान में रखते हुए।
किरण कुलकर्णी ने कहा कि चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के लिए राज्य में कुल 659 मामले दर्ज किए गए, जो इस साल की शुरुआत में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान दर्ज किए गए 366 मामलों से काफी अधिक है। उन्होंने कहा, लोकसभा मामलों में हमारी जांच एजेंसियों ने बेहतरीन काम किया है और 300 आरोपपत्र पहले ही अदालतों में दाखिल किए जा चुके हैं। वहीं विधानसभा चुनाव मामलों पर उन्होंने कहा, हम पूरी लगन से काम कर रहे हैं। हमारी प्रवर्तन एजेंसियां जांच कर रही हैं और सभी आरोपपत्र अदालतों में दाखिल किए जाएंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ये मामले तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचें।
288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा के लिए 20 नवंबर को चुनाव हुए और तीन दिन बाद वोटों की गिनती की गई। राज्य में 15 अक्तूबर को चुनाव आचार संहिता लागू हो गई थी। वहीं एसीईओ ने कहा कि कार्रवाई की समयसीमा न्यायपालिका पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा, ये आपराधिक मामले हैं, इसलिए वे उचित प्रक्रिया का पालन करते हैं। अदालतें चुनाव संबंधी अपराधों के बारे में गंभीर हैं और हम शीघ्र समाधान का अनुरोध कर रहे हैं। वहीं नफरत भरे भाषण की शिकायतों पर किरण कुलकर्णी ने कहा कि इन मामलों को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत निपटाया जाता है।
उन्होंने कहा, कुछ शिकायतों की पुष्टि की गई और प्रासंगिक कानूनी प्रावधानों के तहत मामले दर्ज किए गए। हालांकि, आदर्श आचार संहिता कोई कानून नहीं है, बल्कि कई कानूनों की तरफ ले समर्थित एक सहमतिपूर्ण दिशा-निर्देश है। किरण कुलकर्णी ने महाराष्ट्र की मजबूत चुनावी प्रणालियों का हवाला देते हुए मतदान के दौरान बूथ कैप्चरिंग के आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, महाराष्ट्र में बूथ कैप्चरिंग कभी नहीं हुई। ईवीएम के साथ, यह अर्थहीन है क्योंकि मशीनें मजबूत हैं और डेटा पुनर्प्राप्त करने योग्य हैं। (मतदान के दौरान) व्यवधान के छह मामले सामने आए, लेकिन मतदान प्रक्रिया एक घंटे के भीतर बहाल कर दी गई। उन्होंने कहा कि एक मामले में संदेह को दूर करने के लिए ईवीएम को बदल दिया गया था।
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