महामुनिराज विद्यासागर जी की समाधि पर बोले सीएम मोहन यादव, ‘महाराज की संलेखना पूर्वक समाधि सम्पूर्ण जगत के लिए अपूरणीय क्षति है’
भोपाल (आरएनआई) इस वक्त देश भर में एक शोक की लहर छाई हुई है। यह खबर आचार्यश्री से जुड़ी हुई है। दरअसल, आचार्य प्रवर श्री विद्यासागर जी महामुनिराज ने 17 फरवरी की रात 2:30 पर संल्लेखना पूर्वक समाधि ले ली है। आचार्य विद्यासागर ने तीन दिन पहले ही पूर्ण रूप से अन्न जल त्याग दिया था। छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगृह तीर्थ पर उन्होंने अंतिम सांस ली है। 18 फरवरी यानी आज दोपहर 1 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनके निधन से जैन धर्म और समाज को अपूरणीय क्षति हुई है।
आपको बता दें, समाधि के समय उनके पास पूज्य मुनिश्री योगसागर जी महाराज, श्री प्रसादसागर जी महाराज, श्री समतासागर जी महाराज उपस्थित थे। आज देशभर में जैन समाज और आचार्य श्री के भक्तों ने उनके सम्मान में आज पूरे दिन अपने प्रतिष्ठान बंद रखने का फैसला किया है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने महामुनिराज विद्यासागर जी की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट X पर पोस्ट करते हुए लिखा, “उनकी संलेखना पूर्वक समाधि संपूर्ण जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। अत्यधिक चेतना की पूंज, विश्ववंदनीय संत शिरोमणि परमपूज्य आचार्य गुरुवर श्री 108 विद्यासागर जी महाराज की संलेखना पूर्वक समाधि संपूर्ण जगत के लिए अपूर्ण क्षति है” उन्होंने आगे लिखा, “आपका संयमी जीवन और महान विचार हमें सदैव सत्पथ पर चलने की प्रेरणा देते रहेंगे।
आध्यात्मिक चेतना के पुंज, विश्ववंदनीय संत शिरोमणि परमपूज्य आचार्य गुरुवर श्री 108 विद्यासागर जी महाराज की संलेखना पूर्वक समाधि सम्पूर्ण जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।
कैलाश विजयवर्गी ने भी अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट X पर शोक जताते हुए एक पोस्ट साझा किया है, जिसमें उन्होंने लिखा, “श्री विद्यासागर जी महामुनि राज जी का यह समाधि का समाचार बहुत ही दुखद है। मुझे सदैव उनके असीम उसमें है और आशीर्वाद प्राप्त हुआ है। उन्होंने अपने ज्ञान से समाज को अभिसंचित किया।
आगे उन्होंने लिखा, “महाराज जी के दर्शन मात्र से मेरा मन अनंत प्रकाश से भर जाता था। समाज के लिए महाराज जी द्वारा किए गए कार्य उनका त्याग तपस्या और तपोबल हमेशा उन्हें हमारे बीच शाश्वत रखेगा। उनकी दिव्य उपस्थिति हमें जन सेवा की प्रेरणा देती रहेगी।
संत शिरोमणि, परम श्रद्धेय आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज जी की संलेखना पूर्वक समाधि का समाचार स्तब्ध करने वाला है। मुझे सदैव उनका असीम स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त हुआ। उन्होंने अपने ज्ञान से समाज को अभिसिंचित किया।
जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के दयावसान पर राज्य शासन ने प्रदेश में आज यानी 18 फरवरी को आदि दिन का राजकीय अशोक घोषित किया है। आपको बता दें, इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा तथा राजकीय समारोह और कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाएंगे।
आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक के बेलगांव जिले के सद्लगा ग्राम में हुआ था। जिस दिन आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्म हुआ था उस दिन शरद पूर्णिमा थी। उनके पिता का नाम श्री मल्लप्पा और माता का नाम श्रीमती था। उनका बचपन का नाम विद्याधर था। उनके तीन भाई और दो बहनें है। विद्यासागर जी ने 21 वर्ष की आयु में आचार्य देशभूषण जी से दीक्षा ग्रहण की। आपको बता दे आचार्य विद्यासागर महाराज अब तक 500 से ज्यादा दीक्षा दे चुके हैं। हाल ही में 11 फरवरी को आचार्य विद्यासागर महाराज को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में उन्हें ब्रह्मांड के देवता के रूप में सम्मानित किया गया था।
आचार्य विद्यासागर जी ने अपना जीवन शिक्षा, समाज सुधार और धार्मिक ज्ञान के प्रसार के लिए समर्पित कर दिया। आचार्य विद्यासागर महाराज जनकल्याण के लिए जाने जाते थे। उन्होंने कई गरीब और वंचित बच्चों को शिक्षा प्रदान की। उन्होंने महिला शिक्षा को भी बढ़ावा दिया, गरीबों से लेकर जेल के कैदियों तक के लिए काम किया।
आचार्य विद्यासागर जी एक महान धर्म विद्वान थे। वे हमेशा कहा करते थे कि ‘इंडिया नहीं भारत बोलो’। उन्होंने जैन धर्म के दर्शन और सिद्धांतों पर कई पुस्तकें लिखीं। उन्होंने जैन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए कई देशों की यात्रा की। आचार्य विद्यासागर जी का आज यानी 18 फरवरी 2024 को 77 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन से जैन धर्म और समाज को अपूरणीय क्षति हुई है।
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