महाकाल लोक घोटालाः भगवान को धोखा देते हैं, इंसान को ये क्या छोड़ेंगे
पवनपुत्र हनुमान जी ने हवा चलाकर सच्चाई उजागर कर दी, हाईकोर्ट न्यायाधीश से करायी जाये घोटाले की जांच - मेहरबान सिंह
गुना। जब पापियों के पाप का घड़ा भर जाता है, तो भगवान स्वयं माया रचकर पाप का भंडाफोड़ कर देते हैं, बीते रविवार उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर में भी ऐसा हुआ प्रतीत होता है। उस दिन 30 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चली जिसे विज्ञान की भाषा में तेज आंधी या तूफान नहीं माना जा सकता, फिर भी महाकाल लोक की भ्रष्टाचार से बनायी गई मूर्तियां गिर गयी। श्रद्धालु जानते हैं कि इससे हिन्दुओ की आस्था के केंद्र भगवान महाकाल के विग्रह और मुख्य मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा, महाकाल की कृपा से शिवराज मामा के भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ जरूर हो गया। यह बात जिला कांग्रेस अध्यक्ष मेहरबान सिंह ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में कही है।
उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2022 में जब प्रधानमंत्री ने महाकाल लोक का उद्घाटन किया था, तो झूठ की राजनीति करने वाली भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को श्रेय देने से पूरी तरह इंकार कर दिया था। लेकिन अब जब बजरंगवली के भक्त कमलनाथ की सेवा से प्रसन्न होकर पवन पुत्र हनुमानजी ने हवा चलाकर कर सारी सच्चाई उजागर कर दी। शिवराज सरकार के मंत्री भूपेन्द्र सिंह को अपने पाप छुपाने के लिए प्रेसवार्ता करके यह बताना पड़ा कि महाकाल लोक के भव्य निर्माण का संकल्प कमलनाथ का था।
मेहरबान सिंह ने बताया कि शिवराज सरकार ने 97 करोड़ की योजना बनाई थी लेकिन कमलनाथ की सरकार आने के बाद इसका बजट बढ़ाकर 300 करोड़ किया गया। प्रतिमा की मजबूती के लिये अंदर लोहे का ढांचा बनाया जाता है जो नहीं लगाया गया उसका पैसा कहां गया? चाईनीज नेट का उपयोग कर उसका पैसा भी हड़पा गया। बिना फाउंडैशन बनाए 10 फीट पेडिस्टल पर सीमेंट से जोड़ दिया गया उसका पैसा भी हडप लिया गया। गुणवत्ता की जांच के लिये शर्त के मुताबिक स्थल पर ही प्रयोगशाला क्यों नहीं बनाई गई? यदि इस्तेमाल की जाने वाली सामग्रियों का परीक्षण प्रयोगशाला में किया जाता तो प्रतिमाएं न ही गिरती और न ही खंडित होतीं। निविदा शर्त के अनुसार मूर्तियों की घिसाई न होना और प्रायमर तथा वेदरप्रूफ पीयू रंग का पर्याप्त इस्तेमाल न होने के कारण मूर्तियां बदरंग हो गईं।
मेहरबान सिंह ने सवाल किया है कि 24 नवम्बर 2022 के टेंडर के माध्यम से खरीदी गई सामग्री कहां गई। उसका उपयोग क्यों और किसलिए नहीं हुआ और क्या उक्त टेंडर के माध्यम से कागजी खरीदी की गई, यह जांच का विषय है। उन्होंने कहा कि उज्जैन शहर में ही सिंधी समाज की मूर्ति और इन मूर्तियों में 7 लाख का अंतर है जो जांच का विषय है।
उज्जैन कलेक्टर द्वारा पांच-सात दिनों में ही मूर्तियों की पुर्नस्थापना की घोषणा की गई, जिससे स्पष्ट है कि खंडित मूर्तियों को ही जोड़तोड़ कर पुर्नः स्थापित किया जायेगा। जबकि खंडित मूर्तियों को धर्मक्षेत्र में स्थापित करना वर्जित माना जाता है।
मेहरबान सिंह ने मांग की है कि हाईकोर्ट के किसी वर्तमान न्यायाधीश से महाकाल लोक घोटाले की उच्च स्तरीय जांच करायी जाये, ताकि अपराधियों और पापियों को दंड दिया जा सके और सनातन धर्म को मानने वाले प्रदेश के जनमानस की आस्था को पहुंची चोट पर मरहम लगाया जा सके।
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