महाअष्टमी पर महाकाल की नगरी में आज बंटेगा शराब का प्रसाद
इस महापूजा में 40 मंदिरों में शराब चढ़ाई जाती है। अब मंगलवार सुबह महाअष्टमी को माता महामाया और देवी महालाया को विधि विधान से पूजा कर शराब का भोग लगाया जाएगा।
उज्जैन (आरएनआई) विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में ऐसी कई परंपरा हैं, जो आज भी बरकरार हैं। यहां चैत्र नवरात्रि की अष्टमी को राजा विक्रमादित्य के समय शुरू हुई परंपरा को वर्तमान में भी उसी तरह निभाया जा रहा है। यह परंपरा भी काफी अनूठी है। इसमें महामाया और देवी महालाया मंदिरों में माता को शराब का भोग लगाया जाता है।
चैत्र नवरात्रि की अष्टमी को देवी मंदिरों में शराब का भोग लगाने से शहर में महामारी के प्रकोप नहीं रहता। महापूजा में 40 मंदिरों में शराब चढ़ाई जाती है। अब मंगलवार सुबह महाअष्टमी को माता महामाया और देवी महालाया को विधि विधान से पूजा कर शराब का भोग लगाया जाएगा।
नगर पूजा में निरंजनी अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर सहित सभी अखाड़ों के संत, महंत 24 खंभा माता मंदिर से नगर पूजा की शुरुआत करेंगे। अनेक देवी व भैरव मंदिरों में पूजा करते हुए चलेंगे। नगर पूजा में 12 से 14 घंटे का समय लगेगा। रात करीब नौ बजे गढ़कालिका क्षेत्र स्थित हांडी फोड़ भैरव मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ नगर पूजा संपन्न होगी।
महाष्टमी पर सुबह 8:00 बजे 24 खंभा माता मंदिर पर माता को शराब का भोग लगाकर यात्रा प्रारंभ होगी। नगर पूजा में निरंजनी अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर सहित सभी अखाड़ों के संत, महंत शामिल होंगे। साल मे एक बार यह परंपरा खुद कलेक्टर निभाते हैं। इसे शासकीय पूजा भी कहा जाता है। चैत्र नवरात्रि में नगर की सुख शांति के लिए यह परंपरा निभाई जाती है।
पूजन खत्म होने के बाद माता मंदिर में चढ़ाई गई शराब को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं में बांट दिया जाता है। इसमें बड़ी संख्या श्रद्धालु प्रसाद लेने आते हैं। उज्जैन में प्रवेश का प्राचीन द्वार है। नगर रक्षा के लिए यहां 24 खंबे लगे हुए थे, इसलिये इसे चौबीस खंभा द्वार कहते हैं। यहां महाअष्टमी पर सरकारी तौर पर पूजा होती है और फिर उसके बाद पैदल नगर पूजा की जाती है ताकि देवी मां नगर की रक्षा कर सकें और महामारी से बचाएं।
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