ममता सरकार की टैक्स आवंटन नियमों में बदलाव की मांग, राज्यों को मिलने वाले हिस्से को भी बढ़ाने को कहा

बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने बैठक के दौरान केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए धन की कमी पर भी चिंता जताई। वहीं पंचायतों को सीधे धन हस्तांतरण का विरोध किया, क्योंकि इससे राज्य की प्रशासनिक दक्षता पर असर पड़ता है।

Dec 4, 2024 - 07:00
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ममता सरकार की टैक्स आवंटन नियमों में बदलाव की मांग, राज्यों को मिलने वाले हिस्से को भी बढ़ाने को कहा

कोलकाता (आरएनआई) पश्चिम बंगाल सरकार ने टैक्स आवंटन के नियमो में बदलाव के साथ-साथ राज्यों को मिलने वाले हिस्से को भी बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। इस विषय पर सोलहवें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने मंगलवार को कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने आयोग से राज्यों को करों का हस्तांतरण मौजूदा 41 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की मांग की है। उन्होंने क्षैतिज आवंटन के मानदंडों में महत्वपूर्ण बदलाव का भी प्रस्ताव दिया है।

पनगढ़िया ने बताया कि अब तक जिन 13 राज्यों का दौरा किया गया, उनमें से अधिकांश ने करों का हस्तांतरण 50 प्रतिशत करने की मांग की है, जबकि कुछ ने इसे 45 प्रतिशत करने की बात की है। सीएम ममता बनर्जी ने बैठक के दौरान केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए धन की कमी पर भी चिंता जताई और पंचायतों को सीधे धन हस्तांतरण का विरोध किया, क्योंकि इससे राज्य की प्रशासनिक दक्षता पर असर पड़ता है।

पश्चिम बंगाल सरकार ने आयोग से यह भी कहा कि शहरीकरण आधारित भार को 7.5 प्रतिशत बढ़ाया जाए और वन और पारिस्थितिकी को मानदंड से बाहर किया जाए। राज्य सरकार ने जनसंख्या में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) की आबादी को ध्यान में रखते हुए जनसंख्या भार को 10 प्रतिशत तक बढ़ाने का सुझाव भी दिया है।

इसके साथ ही, पश्चिम बंगाल ने कर दक्षता के लिए 2.5 प्रतिशत भार का सुझाव दिया और जनसांख्यिकीय मानदंड का भार 12.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने की सिफारिश की।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आय मानदंड का भार 45 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की बात की, ताकि यह राज्यों के बीच आय के असमान वितरण को ठीक किया जा सके और पश्चिम बंगाल जैसे कम संसाधन वाले क्षेत्रों को मदद मिले। उन्होंने क्षेत्र मानदंड का भार भी 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने की मांग की।

इस विषय पर अरविंद पनगढ़िया ने आगे कहा कि राज्य सरकार के सुझावों पर विचार किया जाएगा, और आयोग मई 2024 तक सभी 28 राज्यों से परामर्श करने के बाद अंतिम निर्णय लेगा।

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