मनोज जरांगे ने शिंदे सरकार की मंशा पर उठाए सवाल
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर सियासत के साथ आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। महाराष्ट्र के मंत्री की तरफ से टिप्पणी के बाद कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने राज्य की भाजपा-शिवसेना-एनसीपी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं।
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महाराष्ट्र (आरएनआई) मराठा आरक्षण अधिसूचना में 'ऋषि सोयारे' शब्द को शामिल करने की मांग पर महाराष्ट्र सरकार के मंत्री गिरीश महाजन की टिप्पणी के बाद अब मनोज जरांगे की टिप्पणी सामने आयी है। मनोज जरांगे ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार का ये रुख कि मराठा आरक्षण अधिसूचना में 'सेज सोयारे' शब्द को शामिल करना कानूनी जांच के दायरे में नहीं आएगा, यह दर्शाता है कि वो इस तरह के प्रावधान के खिलाफ है। बता दें कि एक दिन पहले संवाददाताओं से बातचीत के दौरान महाराष्ट्र सरकार में मंत्री गिरीश महाजन ने कहा था कि जरांगे मराठाओं के 'सेज सोयारे' (जन्म या विवाह से संबंधित) के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं, जिनके पास कुनबी जाति प्रमाण पत्र है, लेकिन अगर इसे अदालत में चुनौती दी जाती है तो यह कानूनी जांच के दायरे में नहीं आएगा।
मंत्री गिरीश महाजन ने आगे कहा कि जहां तक मैं जानता हूं, कि इस तरह का आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। लेकिन अगर कोई व्यावहारिक समाधान है, तो सरकार इसे आगे बढ़ाएगी। इस बयान पर जरांगे ने पत्रकारों को बताया कि वो अपने इस रुख पर अडिग हैं कि मराठों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में आरक्षण मिलना चाहिए। बता दें कि महाराष्ट्र में कुनबी एक कृषि प्रधान समुदाय है, जिसे ओबीसी का दर्जा प्राप्त है। जबकि मनोज जरांगे मांग कर रहे हैं कि सभी मराठों को कुनबी प्रमाण पत्र जारी किया जाए, ताकि वो सभी सरकारी नौकरियों और शिक्षा में कोटा के लिए योग्य बन सकें।
अपने भूख हड़ताल खत्म करने के बाद अस्पताल में इलाज करा रहे कार्यकर्ता ने कहा कि हम किसी का भी आरक्षण नहीं छीन नहीं रहे हैं। हमारी मांग जायज है और हम ओबीसी श्रेणी से आरक्षण लेकर रहेंगे। उन्होंने आगे कहा कि जब राज्य सरकार के मंत्री ने कहा कि सेज-सोयारे कोर्ट में नहीं टिक पाएगा, तो इसका मतलब है कि ये उनकी योजना है, वे नहीं चाहते कि यह (न्यायिक जांच) टिके। ऐसा लगता है कि सरकार 'सेज सोयारे' के माध्यम से हमें आरक्षण देने की योजना बना रही है और इसे अदालत में टिकने नहीं देगी।
मनोज जरांगे ने कहा कि सरकार ने मराठा समुदाय को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए एक कानून बनाया, लेकिन इसे प्रभावी होने से पहले कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा, लेकिन अब हम ओबीसी वर्ग से आरक्षण लेंगे। अगर आरक्षण नहीं मिला तो हम चुनाव लड़कर जीतेंगे या हारेंगे। मराठा समुदाय ने देवेंद्र फडणवीस पर भरोसा जताया है। सरकार को हमें आरक्षण देना चाहिए। बता दें कि महाराष्ट्र में अक्टूबर महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं।
राज्य के वरिष्ठ मंत्री और राकांपा नेता छगन भुजबल समेत ओबीसी नेता मराठों को ओबीसी कोटा दिए जाने के सख्त खिलाफ हैं। वहीं जालना में कार्यकर्ता लक्ष्मण हेक और नवनाथ वाघमारे इसी मुद्दे पर पिछले आठ दिनों से भूख हड़ताल पर हैं। इस बीच, एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार ने कहा कि केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए और मराठों और ओबीसी दोनों को संतोषजनक समाधान निकालना चाहिए।
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