मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मऊ विधायक अब्बास अंसारी को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि साक्ष्यों को देखने से पता चलता है कि दो फर्मों मैसर्स विकास कंस्ट्रक्शन और मैसर्स आगाज से अब्बास अंसारी के खातों में पैसा आया और मनी ट्रेल में भी अंसारी की संलिप्तता है।
नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मऊ विधायक अब्बास अंसारी को बड़ी राहत देते हुए मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दे दी। अब्बास अंसारी पूर्व गैंगस्टर और राजनेता रहे मुख्तार अंसारी के बेटे हैं। मुख्तार अंसारी की कुछ माह पहले जेल में मौत हो गई थी। जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ ने अंसारी को जमानत देने का आदेश दिया।
अब्बास अंसारी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। अब्बास अंसारी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से जवाब मांगा था। ईडी के जवाब के बाद सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अब्बास अंसारी को जमानत देने का आदेश दिया। हालांकि एक अन्य मामले में आरोपी होने के चलते अब्बास अंसारी की जेल से रिहाई नहीं हो सकेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीती 9 मई को अब्बास अंसारी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि साक्ष्यों को देखने से पता चलता है कि दो फर्मों मैसर्स विकास कंस्ट्रक्शन और मैसर्स आगाज से अब्बास अंसारी के खातों में पैसा आया और मनी ट्रेल में भी अंसारी की संलिप्तता है। इन फर्मों पर ही ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने का आरोप लगाया है। अंसारी को 4 नवंबर 2022 के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। मऊ विधायक फिलाहल कासगंज जेल में बंद हैं।
दोनों फर्मों पर कथित तौर पर जालसाजी, धोखाधड़ी और आपराध का सहारा लेकर मऊ और गाजीपुर जिलों में सरकारी जमीन हड़पने का आरोप है। ईडी का कहना है कि फर्मों का इस्तेमाल सार्वजनिक ठेके हासिल करने के लिए किया जाता था। उक्त फर्म गोदाम बनाने के लिए सार्वजनिक बैंकों से ऋण लेती थीं, जिसे बाद में भारतीय खाद्य निगम और उत्तर प्रदेश राज्य भंडारण निगम को किराए के रूप में दिया जाता था और उनसे प्राप्त किराया कई करोड़ रुपये होता था।
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