मनाली से रखेंगे सियाचिन समेत अन्य ग्लेशियरों की हलचल पर नजर
डीआरडीओ के मनाली स्थित रक्षा भू-सूचना विज्ञान अनुसंधान प्रतिष्ठान (डीजीआरई) में आधुनिक तकनीक की अंशांकन प्रयोगशाला बनकर तैयार हो गई है। स्नो एवलांच सेंसर्स के लिए देश में इस तरह की पहली प्रयोगशाला बनी है।
मनाली (आरएनआई) सियाचिन से उत्तर पूर्व में भारतीय सीमावर्ती हिमालय क्षेत्रों में हिमस्खलन, बाढ़ और ग्लेशियर से संबंधित मौसम घटनाओं का स्टीक पूर्वानुमान अब आसान हो गया है। डीआरडीओ के मनाली स्थित रक्षा भू-सूचना विज्ञान अनुसंधान प्रतिष्ठान (डीजीआरई) में आधुनिक तकनीक की अंशांकन प्रयोगशाला बनकर तैयार हो गई है। स्नो एवलांच सेंसर्स के लिए देश में इस तरह की पहली प्रयोगशाला बनी है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के महानिदेशक डॉ. शैलेंद्र वी. गाडे ने मनाली में अंशांकन प्रयोगशाला का शुभारंभ किया। इस मौके पर डीजीआरई मनाली के निदेशक डॉ. प्रमोद कुमार सत्यवली, प्रयोगशाला निदेशक डॉ. नीरज शर्मा मौजूद रहे। प्रयोगशाला हिमस्खलन तथा मौसम संबंधी आंकड़े एकत्रित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक सेंसर को एकत्रित करेगी।
इससे हिमस्खलन और ग्लेशियर से संबंधित पूर्वानुमान से सीमाओं में तैनात भारतीय सेना को संभलने का मौका मिलेगा। वहीं, बाढ़ जैसी घटनाओं के पूर्वानुमान से आपदा में होने वाले नुकसान को कम किया जा सकेगा। हिमस्खलन की चपेट में आकर कई भारतीय सैनिक अपनी जान गवां चुके हैं लेकिन अब कुदरती कहर के सटीक पूर्वानुमान से जवानों को संभलने का मौका मिल सकेगा। सियाचिन ग्लेशियर से उत्तर पूर्व भारतीय सीमावर्ती हिमालय में स्थापित ऑटोमैटिक मौसम स्टेशन के सेंसरों को मनाली से संचालित किया जाएगा।
डीजीआरई के निदेशक डॉ. प्रमोद कुमार सत्यवली ने बताया कि प्रयोगशाला से हम नियमित अंतराल अथवा आवश्यकता अनुसार हिमस्खलन और मौसम संबंधी सेंसर्स को कैलिब्रेट कर एकत्रित होने वाले आंकड़ों की सटीकता एवं गुणवत्ता बनाए रख सकेंगे। प्रयोगशाला के परियोजना निदेशक डॉ. नीरज शर्मा ने कहा कि इससे बाढ़, हिमस्खलन और ग्लेशियर से संबंधित प्राकृतिक आपदाओं के और बेहतर व सटीक पूर्वानुमान जारी किए जा सकेंगे।
Follow the RNI News channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB2Xp81Z
What's Your Reaction?