मध्य प्रदेश में शिवराज के साथ-साथ यह भी सीएम के दावेदार
मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनावों के नतीजों के शुरुआती रुझानों में भाजपा ने स्पष्ट बढ़त बना ली है। इस बात पर चर्चा तेज हो गई है कि यदि मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री नहीं बने तो पार्टी किसे आगे कर सकती है।
भोपाल, (आरएनआई) मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के नतीजों से साफ है कि भाजपा को बहुमत मिल रहा है। यह सवाल अब भी कायम है कि मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार का चेहरा कौन होगा? क्या मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कुर्सी सुरक्षित रहेगी या उनकी जगह किसी और को बिठाया जाएगा। नरसिंहपुर में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल और दिमनी (मुरैना) में नरेंद्र सिंह तोमर भी इस समय आगे चल रहे हैं। उनकी जीत भी तय लग रही है। इंदौर-1 में कैलाश विजयवर्गीय भी आगे निकल गए हैं। ऐसे में इनके नाम भी मुख्यमंत्री पद के लिए चर्चा में हैं।
एग्जिट पोल्स के बाद ही मेल-मुलाकातों का दौर शुरू हो गया था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ग्वालियर में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। रविवार को नतीजों के आने के बाद भी ज्योतिरादित्य सिंधिया सक्रिय हुए और सीधे मुख्यमंत्री निवास पहुंचे। वहां उन्होंने शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की। वहीं, वरिष्ठ नेताओं की मेल-मुलाकातों का दौर भी शुरू हो गया है।
चुनावों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अकेले ही फ्रंटफुट पर बैटिंग की है। उन्होंने 160 से ज्यादा रैलियां की हैं। इन रैलियों के जरिए पार्टी पर दावेदारी को लेकर दबाव भी बनाते दिखे हैं। जब वे मंच से सवाल करते थे कि मुझे फिर से सीएम या मुख्यमंत्री बनना चाहिए या नहीं? तो इसका असर यह जरूर हुआ कि आखिर वक्त में पार्टी के बड़े नेताओं ने उनकी योजनाओं का जिक्र करना शुरू कर दिया, लेकिन चेहरे पर अभी तक लोग चुप्पी साधे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज से भी ग्वालियर में एक दिसंबर को जब यह सवाल किया गया कि जब आप पांचवी बार मुख्यमंत्री बनेंगे? तो वे भारतीय जनता पार्टी जिंदाबाद कहते हुए आगे निकल गए। इसका मतलब साफ है कि अभी भी उनके नाम पर संशय बरकरार है। ऐसे में दूसरे दावेदारों के नाम की चर्चा शुरू हो गई है।
सबसे ज्यादा चर्चा केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल के नाम पर है। शिवराज के बाद प्रदेश में भाजपा के ओबीसी वर्ग के सबसे बड़े चेहरों में प्रह्लाद पटेल का नाम सबसे आगे है। मध्य प्रदेश में ओबीसी की आबादी 50 फीसदी से अधिक है। भाजपा चेहरा बदलती है तो उनकी दावेदारी मजबूत होगी।
इसके बाद आदिवासियों के सबसे बड़े नेता भाजपा में फग्गन सिंह कुलस्ते का नाम भी चर्चा में है। मंडला जिले की निवास विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। नतीजे कुलस्ते और भाजपा के पक्ष में आते हैं तो पार्टी प्रयोग के तौर पर आदिवासी चेहरे को मौका दे सकती है।
मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी मुख्यमंत्री पद के तगड़े दावेदार माने जा रहे हैं। चुनाव के शुरुआती दिनों में वे फ्रंटफुट पर बैटिंग कर रहे थे। चुनाव की बड़ी जिम्मेदारियां उनके कंधों पर थी। बेटे के कथित लेनदेन के वीडियो आने के बाद साइलेंट हो गए हैं।
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के नाम की भी चर्चा होती है। इन संभावनाओं को बल तब मिला, जब चुनाव प्रचार के दौरान के पीएम मोदी का प्यार इन पर खूब उमड़ा था। चुनावी रैली के दौरान मंच से पीएम इनकी पीठ थपथपाते नजर आए थे। साथ ही इंदौर की रैली में पीएम मोदी के साथ रोड शो में वीडी शर्मा अकेले थे। प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर भी इनका कार्यकाल खत्म होने के बाद दूसरी बार मौका मिला।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की दावेदारी भी है। चुनाव प्रचार के दोरान कैलाश यह संकेत देते रहे हैं कि हम विधायक बनने नहीं आए हैं। विजयवर्गीय ने पश्चिम बंगाल में पार्टी को मजबूती दी है। केंद्रीय नेतृत्व से उनकी नजदीकी उन्हें प्रदेश का मुखिया बना सकती है।
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