मध्य प्रदेश में शिव ‘राज’ समाप्त, अब क्या होगी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भूमिका?

Dec 13, 2023 - 16:28
Dec 13, 2023 - 16:29
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मध्य प्रदेश में शिव ‘राज’ समाप्त, अब क्या होगी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भूमिका?

भोपाल, (आरएनआई) नवनियुक्त मुख्यमंत्री मोहन यादव के शपथ लेने के साथ ही मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के लंबे कार्यकाल का अंत हो गया। वे एमपी में 4 बार मुख्यमंत्री रहे हैं। उनके नाम मध्य प्रदेश में सबसे अधिक समय तक रहने वाले सीएम और बीजेपी के दीर्घकालीक मुख्यमंत्री का रिकॉर्ड है। इस तरह वो प्रदेश में सबसे लंबे कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री रहे हैं।

4 बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज
शिवराज सिंह चौहान पहली बार साल 2005 में सीएम बने थे। दरअसल मध्य प्रदेश में 2003 में बीजेपी के जीतने के बाद उमा भारती को मुख्यमंत्री बनाया गया था।  लेकिन उनके विवादित बयानों के आलाकमान नाराज थे और आठ महीने में ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद प्रदेश की कमान वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर को सौंपी गई, मगर उनके खिलाफ भी पार्टी में बगावत हो गई। तब बीजेपी ने एक नया चेहरा तलाशा और शिवराज सिंह चौहान पहली बार एमपी के मुख्यमंत्री बनाए गए। जब उन्होने सीएम पद संभाला तब वे लोकसभा सांसद थे। इसके बाद 2005 में उन्होने बुधनी से उपचुनाव लड़ा और भारी मतों से जीते। फिर तो सिलसिला चल पड़ा। 2008 और 2013 में फिर उन्हें ही सूबे का मुखिया बनाया गया। साल 2018 में कांग्रेस सत्ता में आई लेकिन 15 महीने बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बगावत कर दी और बीजेपी में शामिल हो गए। उनके साथ कई और विधायक भी बीजेपी में आ गए और एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी। इसी के साथ फिर शिवराज को ही मुख्यमंत्री बनाया गया।

अपार लोकप्रियता पाने वाले नेता
2023 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बंपर जीत हासिल की। लेकिन इस बार पार्टी ने पहले से कोई सीएम फेस घोषित नहीं किया था। इस बार भी शिवराज उनका गढ़ कही जाने वाली बुधनी विधानसभा सीट से 1 लाख से अधिक वोटों के बड़े अंतर से जीते और नतीजों के बाद मुख्यमंंत्री पद के दावेदारों में उनका नाम सबसे ऊपर लिया जा रहा था। मध्य प्रदेश में ‘मामा’ और ‘पांव पांव वाले भैया’ के नाम से पहचाने जाने वाले शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता बेजोड़ रही है और महिलाओं के बीच वो बहुत ही लोकप्रिय हैं। जनता के साथ शिवराज का कनेक्ट अदभुत रहा है। 

विवादों में भी घिरे
हालांकि उनके नाम कुछ ऐसे आरोप रहे हैं जिन्होने कभी उनका पीछा नहीं छोड़ा। 2013 में मध्य प्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाला सामने आया, जिसने देशभर में सनसनी फैला दी थी। परीक्षा में असली कैंडिडेट की जगह पैसे देकर किसी और को बिठाकर नकल कराने के मामले में बहुत हंगामा हुआ। वहीं मंदसौर गोलीकांड और डंपर घोटाला सहित कुछ अन्य मामलों में भी उनके दामन पर छींटें उड़ते रहे। फिर भी उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं दिखी।

अब आगे क्या ?
इस दफा जब नए मुख्यमंत्री के रूप में बीजेपी ने मोहन यादव का नाम घोषित किया को शिवराज सिंह चौहान के 5वीं बार मुख्यमंत्री बनने के सफर पर विराम लग गया। इस घोषणा के बाद कई महिलाएं उनके निवास पर पहुंचीं और फूट फूटकर रोईं। वहीं एक दिन पहले शिवराज सिंह चौहान ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि वो पार्टी के कार्यकर्ता हैं और पार्टी के मिशन में लगे रहेंगे। उन्होने कहा कि संतोष भाव के साथ जा रहा हूं और हम मध्य प्रदेश को अंधेरों के घेरों से निकालकर उजालों की नई दुनिया में लेकर आए हैं। हालांकि कुछ मौकों पर वो भावुक भी नज़र आए और उनकी पीड़ा भी झलकी। अब वो पूर्व मुख्यमंत्री हो चुके हैं और मध्य प्रदश में शिव’राज’ समाप्त हो चुका है लेकिन इतना तो तय है कि उन्हें बहुत जल्दी बहुत आसानी से भुलाया नहीं जा सकेगा। आगे उनकी क्या काम रहेगा।  क्या वे प्रदेश में ही रहकर संगठन का काम संभालेंगे या फिर दिल्ली जाएंगे ? वे पत्रकारों के सवाल के जवाब में मंगलवार को कह चुके हैं कि ‘मध्य प्रदेश में बैठा हूं..मध्य प्रदेश कहां छूटेगा”। लेकिन पार्टी उनके लिए क्या तय करती है और आने वाले समय में उनकी क्या भूमिका होगी, ये तो वक्त के साथ ही पता चलेगा।

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