मदरसा शिक्षक हत्या मामला, कोर्ट ने तीन आरएसएस कार्यकर्ताओं को किया रिहा
कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि मृतक ने किन-किन लोगों से बात की। उन्होंने एक अच्छा मौका गंवा दिया। इस मामले में अभियोजन पक्ष की चुप्पी ही तीनों व्यक्तियों पर लगे आरोपों को खारिज करने के लिए पर्याप्त है।
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कोच्चि (आरएनआई) केरल की एक अदालत ने मदरसा शिक्षक की हत्या से जुड़े एक मामले में तीन आरएसएस कार्यकर्ताओं को रिहा कर दिया। तीनों आरोपियों ने बिना जमानत के सात साल जेल में बिताएं हैं। कासरगोड प्रधान सत्र न्यायालय के न्यायाधीश केके बालाकृष्णन ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि आरोपियों की मुस्लिम समुदाय से किसी तरह की दुश्मनी थी। इसके अलावा, अभियोजन पक्ष यह भी साबित नहीं कर पाए कि आरोपी का आरएसएस से किसी भी तरह का संबंध रहा है
मामला 2017 का है। आरोप है कि तीन आरएसएस कार्यकर्ताओं- अखिलेश, निधिन और अजेश ने चुरी की मुहयुद्दीन जुमा मस्जिद के अंदर मुअज्जिन मोहम्मद रियास मौलवी और चूरी के मदरसा शिक्षक की हत्या कर दी थी। तीनों पर कथित तौर पर आरोप है कि उन्होंने मौलवी का गला काट दिया था।
अदालत ने अपने आदेश में आगे कहा कि आरोपियों और अभियोजन पक्ष के गवाहों से जब्त किए गए फोन से भी कुछ भी उपयोगी नहीं मिला। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि मृतक ने किन-किन लोगों से बात की। उन्होंने एक अच्छा मौका गंवा दिया। इस मामले में अभियोजन पक्ष की चुप्पी ही तीनों व्यक्तियों पर लगे आरोपों को खारिज करने के लिए पर्याप्त है। सबूतों और गवाहों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि जांच मानकों के अनुसार ही हुई है। अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा कि पीड़ित की हत्या इन्हीं आरोपियों ने ही की थी। अदालत ने कहा कि उनपर आरोप साबित नहीं हुए इसलिए तीनों इन अपराधों के लिए दोषी नहीं हैं।
अभियोजन पक्ष ने फैसले पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वे आदेश के खिलाफ अपील करेंगे। अभियोजकों ने कहा कि मामले में मजबूत सबूत पेश किए गए थे। एक आरोपी के कपड़ों पर मौलवी का खून भी मिला था। चाकू पर भी मौलवी के कपड़े का एक टुकड़ा मिला था। हमने सभी सबूत जमा कर दिए थे। मौलवी की पत्नी अदालत में ही मीडिया के सामने रो पड़ीं और कहा कि आदेश निराशाजनक हैं। मौलवी के परिवारों के सदस्यों का कहना है कि उन्होंने मामले में इस तरह के फैसले की कभी उम्मीद नहीं की थी। बता दें, अदालत ने मामले में 97 गवाहों, 215 दस्तावेजों और 45 भौतिक साक्ष्यों की जांच की है।
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