मणिपुर में शांति बहाल करने की कवायद, मैतेई और हमार समुदाय जिरीबाम में साथ काम करने को सहमत हुए
पिछले साल मई से इंफाल घाटी के मैतेई और आसपास की पहाड़ियों पर स्थित कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।
इंफाल (आरएनआई) मैतेई और हमार समुदाय के प्रतिनिधियों ने मणिपुर के हिंसा प्रभावित जिरीबाम जिले में हालात सुधारने और शांति बहाल करने के लिए साथ काम करने को सहमत हो गए हैं। असम के कछार में गुरुवार को सीआरपीएफ सुविधा केंद्र में आयोजित बैठक में आमने-सामने खड़े दोनों पक्षों के बीच समझौता हुआ। अधिकारियों ने बताया कि बैठक का संचालन जिरीबाम जिला प्रशासन, असम राइफल्स और सीआरपीएफ कर्मियों ने किया। बैठक में जिरीबाम जिले के थाडू, पैते और मिजो समुदायों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।
बैठक में यह तय किया गया कि दोनों पक्ष सामान्य स्थिति लाने, आगजनी तथा गोलीबारी की घटनाओं को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। दोनों पक्ष जिरीबाम जिले में तैनात सभी सुरक्षा बलों की मदद करेंगे। दोनों पक्ष नियंत्रित और समन्वित आवाजाही को सुविधाजनक बनाएंगे। सभी सहभागी समुदायों के प्रतिनिधियों ने इस दौरान वादों से जुड़ा बयान जारी किया। इस पर सभी के हस्ताक्षर थे। अगली बैठक 15 अगस्त को होगी।
पिछले साल मई से इंफाल घाटी के मैतेई और आसपास की पहाड़ियों पर स्थित कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।
जातीय रूप से विविधतापूर्ण जिरीबाम इंफाल घाटी और आसपास की पहाड़ियों में जातीय हिंसा से काफी हद तक अछूता था। हालांकि, इस साल जून में खेतों में एक किसान का क्षत-विक्षत शव मिलने के बाद यहां भी हिंसा शुरू हो गई। दोनों पक्षों की ओर से की गई आगजनी की घटनाओं के कारण हजारों लोगों को अपने घर छोड़कर राहत शिविरों में जाना पड़ा। यहीं जुलाई के मध्य में सुरक्षा बलों की गश्त के दौरान आतंकवादियों ने घात लगाकर हमला किया था। इस दौरान सीआरपीएफ के एक जवान की जान चली गई थी।
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