मणिपुर के नौ जिलों से हटा इंटरनेट बैन, नवंबर में भड़की हिंसा के बाद लगाई गई थी पाबंदी
सरकार ने स्वास्थ्य सुविधाओं, शैक्षणिक संस्थानों और विभिन्न कार्यालयों की दिक्कतों को देखते हुए ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाओं से 19 नवंबर को ही निलंबन हटा लिया था। वाईफाई या हॉटस्पॉट को साझा करने की अनुमति नहीं दी गई थी।
इंफाल (आरएनआई) मणिपुर सरकार ने सोमवार को राज्य के नौ जिलों में मोबाइल इंटरनेट जारी पाबंदी को हटा लिया। सरकार के गृह विभाग ने एक आदेश जारी कर राज्य के नौ जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं के अस्थायी निलंबन को वापस ले लिया। सरकार ने इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, बिष्णुपुर, थौबल, काकचिंग, जिरीबाम, चुराचांदपुर, कांगपोकपी और फेरजावल जिलों में कानून व्यवस्था की स्थिति और इंटरनेट सेवाओं के साथ इसके सह-संबंध की समीक्षा के बाद यह फैसला लिया है।
आयुक्त (गृह) एन अशोक कुमार ने आदेश में कहा कि, 'राज्य सरकार ने मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति और इंटरनेट सेवाओं के सामान्य संचालन के साथ इसके सह-संबंध की समीक्षा करने के बाद, मणिपुर के इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, बिष्णुपुर, थौबल, काकचिंग, जिरीबाम, चुराचांदपुर, कांगपोकपी और फेरजावल में इंटरनेट और डेटा सेवाओं पर जारी सभी प्रकार के अस्थायी निलंबन को तत्काल प्रभाव से हटाने का फैसला किया है।' उल्लेखनीय है कि बीते नवंबर में तीन महिलाओं और तीन बच्चों के शव जीरी और बराक नदियों में मिलने के बाद राज्य में हिंसा भड़क गई थी, जिसके बाद सरकार ने कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए 16 नवंबर को नौ जिलों में इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दीं थी। हालात को देखते हुए मोबाइल इंटरनेट प्रतिबंध को कई बार आगे बढ़ाया गया और अब सामान्य हालात के बाद इसे हटाने का फैसला किया गया है।
सरकार ने स्वास्थ्य सुविधाओं, शैक्षणिक संस्थानों और विभिन्न कार्यालयों की दिक्कतों को देखते हुए ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाओं से 19 नवंबर को ही निलंबन हटा लिया था। हालांकि, वाईफाई या हॉटस्पॉट को साझा करने की अनुमति नहीं दी गई थी। ताजा आदेश में सरकार ने लोगों से ऐसी गतिविधियों से दूर रहने की अपील की है, जिनसे राज्य की कानून व्यवस्था के लिए खतरा पैदा हो। सरकार ने आदेश में साफ कहा है कि अगर कानून व्यवस्था के लिए खतरा पैदा होता है तो इंटरनेट प्रतिबंध को फिर से निलंबित किया जा सकता है।
मणिपुर बीते साल मई से ही हिंसा से ग्रस्त है। इंफाल घाटी में रहने वाले मैतई समुदाय और आसपास के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी-जो समूहों के बीच जारी जातीय हिंसा में अब तक 250 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हुए हैं।
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