मक्का में हज की अंतिम रस्में, जायरीनों ने सांकेतिक रूप से शैतान को मारे पत्थर
सऊदी अरब में रविवार को बड़ी संख्या में यात्रियों ने प्रतीकात्मक रूप से शैतान को पत्थर मारने की रस्म निभाई। यह रस्म हज यात्रा के अंतिम दिनों में विश्वभर के मुस्लिम समुदाय के लिए ईद-उल-अजहा की शुरुआत का प्रतीक है।
मक्का (आरएनआई) भीषण गर्मी के बीच हज यात्रियों में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। सऊदी अरब में रविवार को बड़ी संख्या में यात्रियों ने प्रतीकात्मक रूप से शैतान को पत्थर मारने की रस्म निभाई। यह रस्म हज यात्रा के अंतिम दिनों में विश्वभर के मुस्लिम समुदाय के लिए ईद-उल-अजहा की शुरुआत का प्रतीक है।
शैतान को पत्थर मारने की रस्म को हज की अंतिम रस्मों में से एक कहा जाता है। मक्का शहर के बाहर अराफात की पहाड़ी पर 18 लाख से अधिक हज यात्री एकत्र हुए। इसके एक दिन बाद शैतान को पत्थर मारने की रस्म निभाई गई। बता दें कि हर वर्ष मक्का में हज की पांच दिवसीय रस्मों को पूरा करने के लिए बड़ी संख्या में यात्री आते हैं।
शनिवार शाम को हज यात्रियों ने अराफात की पहाड़ी से निकलकर मुजदलिफा नाम की जगह पर रात बिताई। यहां उन्होंने कंकड़ एकत्र किए, जिनका इस्तेमाल प्रतीकात्मक रूप से शैतान के स्तंभ को पत्थर मारने में किया गया। बता दें कि ये स्तंभ मक्का में मीना नाम की जगह पर स्थित है। हज यात्री अगले तीन दिन मीना में बिताएंगे। यहा तीन विशाल स्तंभ मौजूद हैं, जिन पर कंकड़ फेंकने की रस्म निभाई जाती है।
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