मकर संक्रांति पूजा विधि और स्नान शुभ मुहूर्त
मकर संक्राति पर सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं जिस कारण से इसे उत्तरायण पर्व भी कहते हैं। इसके अलावा मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है। मकर संक्रांति पर गंगा स्नान, सूर्यदेव की विशेष पूजा का विशेष महत्व होता है।
नई दिल्ली (आरएनआई) इस वर्ष पौष माह के खत्म होने के एक दिन बाद मकर संक्रांति मनाई जाएगी। 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा और फिर इसके अगले दिन मकर संक्रांति है। इस वर्ष प्रयागराज में महाकुंभ भी शुरू है। 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के साथ महाकुंभ की शुरुआत हो जाएगी और इसके एक दिन बाद मकर संक्रांति के दिन पहला शाही स्नान है। मकर संक्रांति पर साधु-संत और गृहस्थ जीवन जीने वाले लोग गंगा, यमुना, त्रिवेणी, नर्मदा और शिप्रा जैसी अन्य पवित्र नदियों में स्नान करके पुण्य लाभ की प्राप्ति करते हैं। हिंदू धर्म में मकर संक्रांति के त्योहार का विशेष महत्व होता है। प्रत्येक साल यह त्योहार पौष महीने में मनाया जाता है। लेकिन इस बार मकर संक्रांति पौष माह के खत्म होने के बाद मनाई जा रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस सूर्य धनु राशि की अपनी यात्रा को विराम देकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। जिसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। मकर संक्राति पर सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं जिस कारण से इसे उत्तरायण पर्व भी कहते हैं। इसके अलावा मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है। मकर संक्रांति पर गंगा स्नान, सूर्यदेव की विशेष पूजा का विशेष महत्व होता है। इसके अलावा इस दिन दान करने का विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं मकर संक्रांति का महत्व, पूजा विधि और स्नान का शुभ मुहूर्त।
पंचांग के अनुसार इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व मंगलवार, 14 जनवरी को मनाई जाएगा। सूर्यदेव इस दिन धनु से मकर राशि में सुबह 09 बजकर 3 मिनट पर प्रवेश करेंगे। इस कारण से मकर संक्रांति 14 जनवरी को है।
इस वर्ष मकर संक्रांति पर पुण्य काल मुहूर्त 14 जनवरी 2025 को सुबह 08 बजकर 40 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। पुण्य काल के मुहूर्त में गंगा स्नान और दान करने का विशेष महत्व होता है।
मकर संक्रांति पर महापुण्य काल का मुहूर्त सुबह 08 बजकर 40 मिनट से 09 बजकर 04 मिनट तक रहेगा।
मकर संक्रांति पर स्नान और दान करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन बिना गंगा स्नान और दान के मकर संक्रांति का पूरा लाभ नहीं मिल पाता है। मकर संक्रांति पर सुबह-सुबह स्नान करने के विशेष महत्व होता है। 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर गंगा स्नान के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 09 बजकर 03 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। पवित्र नदी में मकर संक्रांति के दिन स्नान करने के बाद सूर्यदेव को जल अर्पित करने और तिल का दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
मकर संक्रांति का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस त्योहार के देशभर के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। मकर संक्रांति पर सूर्यदेव की विधि-विधान के साथ पूजा करने का महत्व होता है। मकर संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर घर के साफ-सफाई करने के बाद घर के पास किसी पवित्र नदी में स्नान करने जाएं और वहां पर स्नान करने के बाद सूर्य देव अर्घ्य दें। फिर सूर्यदेव से जुड़े मंत्रों का जाप करें और दान-दक्षिणा करें।
सूर्य के मकर राशि में प्रवेश काल के समय जब सभी देवों के दिन का शुभारंभ होता है तो तीनों लोकों में प्रतिष्ठित गंगा, यमुना और सरस्वती के पावन संगमतट 'त्रिवेणी' पर साठ हजार तीर्थ और साठ करोड़ नदियाँ, सभी देवी-देवता, यक्ष, गन्धर्व, नाग, किन्नर आदि तीर्थराज प्रयाग' में एकत्रित होकर गंगा-यमुना-सरस्वती के पावन संगम तट पर स्नान, जप-तप और दान-पुण्य कर अपना जीवन धन्य करते हैं। तभी इसे तीर्थों का कुंभ भी कहा जाता है।
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