'मंत्री नियुक्त किए जाने पर जमानत की शर्तों का उल्लंघन नहीं हुआ', सुप्रीम कोर्ट में सेंथिल बालाजी की दलील

करूर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले बालाजी को 14 जून, 2023 को नकदी के बदले नौकरी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था। मामला तब का है, जब वह 2011 और 2015 के बीच पिछली AIADMK सरकार के दौरान परिवहन मंत्री थे।

Apr 9, 2025 - 16:33
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'मंत्री नियुक्त किए जाने पर जमानत की शर्तों का उल्लंघन नहीं हुआ', सुप्रीम कोर्ट में सेंथिल बालाजी की दलील

नई दिल्ली (आरएनआई) द्रमुक नेता वी. सेंथिल बालाजी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि तमिलनाडु में कैबिनेट मंत्री के तौर पर उनकी नियुक्ति मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शीर्ष कोर्ट की ओर से उन पर लगाई गई जमानत शर्तों का उल्लंघन नहीं है। उन्होंने दलील दी कि लोकप्रिय जनादेश के बाद राजनीतिक पद की मांग करने के लिए उन्हें दंडित नहीं किया जा सकता। बालाजी को 26 सितंबर, 2024 को शीर्ष अदालत ने जमानत दी थी। 

याचिकाकर्ता कोर्ट से जमानत आदेश को वापस लेने की मांग की थी। इस पर बालाजी ने एक हलफनामे के जरिए अर्जी लगाने वाले की ईमानदारी पर सवाल उठाया था। बालाजी ने आरोप लगाया कि याचिका राजनीति से प्रेरित है। यह विपक्ष की चाल हो सकती है। ऐसे उनसे बदला लेने के लिए किया गया है। उनके हलफनामे में कहा गया, 'यह ध्यान रखना अहम है कि बालाजी की मंत्री के रूप में नियुक्ति न तो 26 सितंबर, 2024 के फैसले में निर्धारित जमानत शर्तों के विपरीत थी और न ही यह किसी कानून का उल्लंघन था।

बालाजी ने कोर्ट को बताया कि वास्तव में आवेदक के. विद्या कुमार ने यह भी नहीं कहा है कि मंत्री बनने के बाद किसी भी गवाह पर किसी भी तरह का प्रभाव डाला गया। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय अनुसूचित अपराधों में मुकदमों की गंभीरता से भली-भांति परिचित है। उनके निष्कर्ष पर पहुंचने में कई वर्ष लगते हैं। इसलिए जमानत शर्तों को संशोधित करने के किसी भी प्रयास में यह विचार करना आवश्यक होगा कि बालाजी को लोकप्रिय जनादेश प्राप्त है और लोकप्रिय जनादेश के लिए राजनीतिक पद को स्वीकारने के लिए उसे दंडित नहीं किया जा सकता है।

हलफनामे में तर्क दिया गया कि यह न केवल लोकप्रिय जनादेश के खिलाफ होगा, बल्कि सार्वजनिक जीवन में भाग लेने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत बालाजी के अधिकार का भी उल्लंघन होगा। बालाजी के अनुसार शीर्ष अदालत ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार केवल "जीने का अधिकार" का नहीं है, बल्कि इसमें "गरिमा के साथ जीने का अधिकार" भी शामिल है।

पिछले साल 2 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने नकदी के बदले नौकरी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दिए जाने के कुछ ही दिनों बाद बालाजी को कैबिनेट मंत्री के रूप में बहाल किए जाने पर चिंता व्यक्त की थी। कोर्ट ने मामले में गवाहों की आजादी पर आशंका जताने वाली याचिका की जांच करने पर सहमति जताई थी। इससे पहले 26 सितंबर, 2024 को शीर्ष अदालत ने बालाजी को जमानत दे दी थी, क्योंकि वह 15 महीने से अधिक समय तक जेल में रहे थे। कोर्ट ने कहा था कि निकट भविष्य में मुकदमे के पूरा होने की कोई संभावना नहीं है।

करूर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले बालाजी को 14 जून, 2023 को गिरफ्तार किया गया था। मामला तब का है, जब वह 2011 और 2015 के बीच पिछली AIADMK सरकार के दौरान परिवहन मंत्री थे। पिछले साल 13 फरवरी को तमिलनाडु के राज्यपाल ने मंत्रिपरिषद से बालाजी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया था। 

ईडी ने 2018 में तमिलनाडु पुलिस की ओर से तीन प्राथमिकी दर्ज किए जाने और कथित घोटाले में पीड़ितों की शिकायतों के आधार पर आरोपों की जांच के लिए जुलाई 2021 में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। इसके आरोपपत्र में दावा किया गया कि मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान राज्य परिवहन विभाग में पूरी भर्ती प्रक्रिया को भ्रष्ट कर दिया गया था।

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