मंत्री कोकाटे की सजा पर रोक, दोबारा चुनाव से बचेगा सरकारी खर्च
महाराष्ट्र के मंत्री माणिकराव कोकाटे को साल 1995 के धोखाधड़ी और जालसाजी मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद राहत मिली है। नासिक की एक सेशंस कोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगा दी है। मामले में कोर्ट ने कहा कि अगर मंत्री कोकाटे की सदस्यता रद्द होती है, तो दोबारा चुनाव कराना पड़ेगा, जिससे सरकार को भारी खर्च उठाना पड़ेगा। इसके अलावा, अगर बाद में उनकी अपील सफल होती है, तो भी उनकी विधायक और मंत्री पद की बहाली संभव नहीं होगी, जिससे उन्हें बड़ा नुकसान होगा।

मुंबई (आरएनआई) 20 फरवरी को नासिक के मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मंत्री माणिकराव कोकाटे और उनके भाई सुनील कोकाटे को धोखाधड़ी और जालसाजी के मामले में दो साल की जेल की सजा सुनाई थी। कोकाटे बंधु पर आरोप था कि उन्होंने सरकारी कोटे के तहत फ्लैट पाने के लिए फर्जी दस्तावेज जमा किए थे। इस फैसले के खिलाफ कोकाटे ने सेशंस कोर्ट में अपील दायर की थी, जिस पर 5 मार्च को सेशंस जज एनवी. जिवाने ने उनकी सजा पर रोक लगा दी।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि कोकाटे महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य हैं और सजा के चलते उनकी सदस्यता खत्म हो सकती थी। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(3) के तहत, अगर किसी नेता को दो साल या उससे अधिक की सजा मिलती है, तो वह तुरंत अयोग्य घोषित हो जाता है और 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले में, कोकाटे 35 सालों से जनता की सेवा कर रहे हैं और उन्हें लोगों ने चुनकर विधायक बनाया है। अगर उनकी सदस्यता रद्द होती, तो फिर से चुनाव कराना पड़ता, जिससे सरकार को भारी धन खर्च करना पड़ेगा।
इस दौरान कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का जिक्र किया, जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मानहानि मामले में सजा पर रोक लगाई गई थी। कोर्ट ने कहा कि राहुल गांधी के मामले में भी 'अगर सजा पर रोक नहीं लगती, तो उनकी स्थिति अपरिवर्तनीय हो जाती', इसलिए वहां भी सजा पर रोक लगाई गई थी। इसी तर्क के आधार पर, कोकाटे की सजा पर भी रोक लगाना जरूरी था, ताकि वह अपरिवर्तनीय नुकसान से बच सकें।
अब कोर्ट में अपील की सुनवाई होगी, जिसमें कोकाटे के वकील उनकी निर्दोषता साबित करने के लिए दलीलें देंगे। तब तक, कोकाटे विधायक और मंत्री पद पर बने रहेंगे।
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