मंकीपॉक्स की निगरानी में मिला चिकनपॉक्स वायरस का नौवां रूप
एनल्स ऑफ मेडिसिन नामक मेडिकल जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि दुनिया भर में मंकीपॉक्स के मामले प्रसारित होने के चलते भारत ने निगरानी बढ़ाई है। अलग अलग राज्यों से संदिग्ध रोगियों के सैंपल लेकर उनकी जांच की जा रही है।
(आरएनआई) देश में पहली बार भारतीय वैज्ञानिकों को चिकनपॉक्स के वायरस का नौंवा रूप मिला है जिसे क्लेड नौ कहा जाता है। वैज्ञानिकों को इसकी पहचान तब हुई जब वह प्रयोगशाला में मंकीपॉक्स को लेकर संदिग्ध रोगियों के सैंपल की जांच कर रहे थे। इस दौरान उन्हें बफेलो पॉक्स और एंटरोवायरस भी मिला।
वैरिसेला जोस्टर वायरस (वीजेडवी) को चिकनपॉक्स का वायरस कहते हैं। अभी तक भारत में इसके कई क्लेड मिले हैं लेकिन यह स्वरूप पहली बार मिला है और आशंका यह भी है कि उत्तर प्रदेश से लेकर तमिलनाडु और राष्ट्रीय राजधानी तक में यह प्रसारित है। एनल्स ऑफ मेडिसिन नामक मेडिकल जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि दुनिया भर में मंकीपॉक्स के मामले प्रसारित होने के चलते भारत ने निगरानी बढ़ाई है। अलग अलग राज्यों से संदिग्ध रोगियों के सैंपल लेकर उनकी जांच की जा रही है। इसी निगरानी में उन्हें बच्चों और वयस्कों में वैरिसेला जोस्टर वायरस (वीजेडवी) के मामलों का भी पता चला। यह काफी हैरानी भरा है क्योंकि वीजेडवी वायरस का हमें नया क्लेड भी मिला है। पुणे स्थित आईसीएमआर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रज्ञा यादव ने बताया कि निगरानी के दौरान उनके पास मंकीपॉक्स के 331 संदिग्ध रोगियों के सैंपल जांच के लिए आए। इनमें से वेसिकुलर यानी चिकनपॉक्स चकत्ते वाले 28 मामलों की दोबारा जांच की तो वीजेडवी का पता चला।
सामान्य तौर पर वैरिसेला जोस्टर वायरस की पहचान चिकित्सा निदान में होती है लेकिन जिन मरीजों को बुखार और त्वचा पर चकत्ते हैं उन्हें गंभीरता से लेना चाहिए। ऐसे मरीजों के सैंपल की जांच होनी चाहिए। यह रोगी मंकीपॉक्स के साथ साथ अन्य तरह के संक्रमण को लेकर भी संदिग्ध हो सकते हैं।
पुणे स्थित एनआईवी की प्रयोगशाला में चंडीगढ़, नई दिल्ली, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, मेघालय, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु से सैंपल जांच के लिए पहुंचे जिनमें वीजेडवी के अलग अलग क्लेड की पुष्टि हुई है।
डॉ. प्रज्ञा ने बताया कि अभी तक वैरिसेला जोस्टर वायरस का क्लेड नौ जर्मनी, यूके और अमेरिका में पाया गया है। हाल ही में न्यू यॉर्क के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में पुष्टि की है कि यह क्लेड रोगी के नर्वस सिस्टम पर हमला कर उनकी जान जोखिम में डाल सकता है।
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