भ्रष्टाचार मामले में CBI की छापेमारी; आरजी कर कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल के आवास पर दबिश
कलकत्ता हाईकोर्ट ने 23 अगस्त को सरकारी अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच को राज्य सरकार के विशेष जांच दल (एसआईटी) से सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था। फैसला अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक डॉ. अख्तर अली की याचिका के बाद आया था। इसमें मांग की गई थी कि प्राचार्य के रूप में घोष के कार्यकाल में वित्तीय कदाचार के आरोपों की ईडी द्वारा जांच कराने के निर्देश दिए जाएं।
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कोलकाता (आरएनआई) प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के आवास पर छापेमारी की। आरजी कर कॉजेल पिछले महीने उस वक्त चर्चा में आया, जब यहां एक 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर की बर्बरतापूर्वक हत्य कर दी गई। डॉक्टर के साथ पहले दुष्कर्म किया गया और फिर उसे मौत के घाट उतार दिया गया। इसके बाद पूरे देश में डॉक्टरों और महिलाओं की सुरक्षा को लेकरआक्रोश फैल गया। जानकारी के मुताबिक, जांच एजेंसी ने घोष और उसके सहयोगियों से जुड़े 5-6 ठिकानों पर छापेमारी की है। अस्पताल के डेटा एंट्री ऑपरेटर प्रसून चटर्जी के घर की भी ईडी ने तलाशी ली है।
घोष को उनके कार्यकाल के दौरान अस्पताल में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में मंगलवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गिरफ्तार किया था। इस बीच पश्चिम बंगाल सरकार ने उन्हें निलंबित भी कर दिया था। उन्हें आठ दिनों की हिरासत में रखा गया है। दुष्कर्म-हत्या मामले में पूर्व प्रिंसिपल का दो बार पॉलीग्राफ टेस्ट भी हो चुका है। पूर्व प्रिंसिपल पर दुष्कर्म-हत्या मामले में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया गया है। इसमें महिला का शव मिलने पर पुलिस के पास शिकायत दर्ज न कराने का आरोप भी शामिल है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी उनकी सदस्यता भी निलंबित कर दी है।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने 23 अगस्त को सरकारी अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच को राज्य सरकार के विशेष जांच दल (एसआईटी) से सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था। फैसला अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक डॉ. अख्तर अली की याचिका के बाद आया था। इसमें मांग की गई थी कि प्राचार्य के रूप में घोष के कार्यकाल में वित्तीय कदाचार के आरोपों की ईडी द्वारा जांच कराने के निर्देश दिए जाएं।
घोष ने फरवरी 2021 से सितंबर 2023 तक प्राचार्य के रूप में कार्य किया। अक्तूबर 2023 में कुछ समय के लिए आरजी कर से उनका तबादला कर दिया गया था, लेकिन एक महीने के भीतर वह वापस आ गए। डॉ. अली ने चिंता व्यक्त की थी कि आरजी कर अस्पताल में भ्रष्टाचार चिकित्सक की मौत से जुड़ा हो सकता है। यह भी कहा था कि संभवत: पीड़िता को कदाचार के बारे में पता था और उसने इसे उजागर करने की धमकी दी होगी।
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