भूटान के राजा ने सीएम योगी के साथ लगाई डुबकी; त्रिवेणी संगम पर आरती भी की
भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने सीएम योगी के साथ संगम में डुबकी लगाई। उन्होंने त्रिवेणी संगम पर आरती भी की।
प्रयागराज (आरएनआई) भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर पूजा-अर्चना की। भूटान नरेश योगी आदित्यनाथ के साथ महाकुंभ मेले में शामिल होने के लिए प्रयागराज पहुंचे हैं।
भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने सीएम योगी के साथ संगम में डुबकी लगाई। उन्होंने त्रिवेणी संगम पर आरती भी की। भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने त्रिवेणी संगम, प्रयागराज में पूजा-अर्चना भी की।
भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रयागराज पहुंच गए हैं। भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रयागराज में संगम घाट पर पहुंच गए हैं।
महाकुंभ भगदड़ पर समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने कहा कि "जब 1954 में बड़ी भगदड़ हुई थी, तो पहले ही दिन जवाहरलाल नेहरू ने सदन में कहा था कि 400 लोग मारे गए हैं और 2000 घायल हुए हैं। उसके बाद सरकार ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में लोग आते हैं, बिना चिट्ठी दिए, बिना विज्ञापन दिए, इसलिए कोई वीआईपी नहीं जाना चाहिए जिससे लोगों को असुविधा हो। लेकिन हमारे मुख्यमंत्री वहां रोज होते हैं, सारे अधिकारी वहां व्यस्त रहते हैं कि वीआईपी लेन अच्छी होनी चाहिए और उन्हें वहां जाने वाले आम लोगों की चिंता नहीं है, चाहे वे डूब जाएं या मर जाएं... 15,000 लोग कह रहे हैं कि उनके परिवार के लोग नहीं मिल रहे हैं, सरकार कोई जानकारी नहीं दे रही है।
वैष्णव परंपरा के संत यहां त्रिजटा स्नान तक ठहरेंगे। श्रीकृष्ण मंगल सनातन विचार मंच के डाॅ. विश्वनाथ निगम का कहना है कि माह भर तक स्नान न कर पाने वालों के लिए त्रिजटा स्नान विशेष फलदायी होता है। फाल्गुन मास की तृतीया तिथि पर त्रिजटा स्नान का मुहूर्त माना जाता है। तमाम वैष्णव संत भी इस स्नान के लिए खास तौर से प्रयाग आते हैं। इस वर्ष महाकुंभ होने की वजह से वह यहां रहकर ही त्रिजटा स्नान करेंगे। इसके बाद ही उनकी यहां से रवानगी होगी हालांकि मेले का औपचारिक समापन शिवरात्रि के आखिरी स्नान पर्व के बाद होगा।
जिन नागाओं की दीक्षा कुंभ नगरी में हुई है, उनको अखाड़ों का प्रमाण पत्र काशी से मिलेगा। इसके साथ ही नए बने महामंडलेश्वर, महंत समेत रमता पंच के सदस्यों को भी मोहर छाप काशी से ही नई बनवानी पड़ेगी।। महाकुंभ के साथ ही उनके पुराने सभी प्रमाण पत्र भी रद हो जाते हैं। अब इनको नए सिरे से बनवाया जाएगा।
निरंजनी अखाड़ा के नागा संन्यासी महेंद्र पुरी के मुताबिक कढ़ी-पकौड़ी के बाद धूनी भी ठंडी कर देंगे। पिछले करीब एक माह से श्रद्धालुओं को आशीष बांट रहे नागा संन्यासी अब यहां से जाने के लिए ट्रक, ट्रैक्टर एवं वाहनों के बंदोबस्त मेंं लगे हैं। उनका कहना है कि अचला सप्तमी तक अधिकांश संन्यासी यहां से चले जाएंगे। अनी अखाड़े के संन्यासी धूना तपस्या पूरी करके के साथ ही त्रिजटा स्नान को यहां ठहरेंगे। इसके बाद वह भी यहां से रवाना हो जाएंगे।
सोमवार को तीसरे स्नान के बाद से नागा संन्यासियों ने अपना समान एकत्र करना शुरू कर दिया। निरंजनी, महानिर्वाणी एवं जूना अखाड़े के बाहरी पटरी पर पिछले 22 दिनों से धूनी रमाए नागा संन्यासी अपना सामान समेटने लगे। धूनी के साथ जमीन पर गड़ा चिमटा उखाड़कर उसे कपड़े से बांध लिया। त्रिशूल एवं तलवार भी बक्से में रख ली।
अंतिम अमृत स्नान पूरा होने के साथ ही अखाड़ों में अब विदाई का दौर आरंभ हो गया। छावनी में कढ़ी पकौड़ी की परंपरागत पंगत के बाद सभी साधु-महात्मा एक दूसरे से विदा लेकर काशी रवाना हो जाएंगे। अचला सप्तमी के बाद अलग-अलग अखाड़ों में कढ़ी पकौड़ी होगी। सबसे पहले शैव अखाड़े के संन्यासी विदाई लेंगे। उसके बाद अनी एवं उदासीन अखाड़ों के साधु-संत विदा होंगे। अखाड़ों की धर्मध्वजा महाशिवरात्रि के बाद ही छावनी से उतारी जाएगी। अब सभी अखाड़ों की अगली मुलाकात दो साल बाद हरिद्वार अर्द्धकुंभ में होगी।
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