भाव की गरिमा का सजीव चित्रण किया कलाकारों ने जय श्री राम के नारों से गूंजा पांडाल
पुरानी बाजार में हनुमत रामलीला मंच पर मंचन करते कलाकार सुल्तानपुर।सूरापुर पुरानी बाजार में हनुमत रामलीला मंच पर छठवें दिन कलाकारों ने सूपर्णखा पंचवटी प्रवेश,रावण दरबार, मारीच सुबाहू वध, के साथ सीता हरण का जीवंत मंचन किया। चित्रकूट छोड़ने के बाद राम लक्ष्मण मां सीता जी के साथ मुनियों की सलाह पर पंचवटी में कुटिया बनाकर रहने लगे। जहां एक दिन रावण की बहन सूपनखा विचरण करते हुए पहुंचती है। दोनों भाइयों के सुंदर स्वरूप देख कर मोहित हो जाती है। और दोनों के सामने शादी का प्रस्ताव रखती है। इंकार करने पर सीताजी पर हमलावर हो जाती है। लक्ष्मण ने सूपनखा के नाक कान काट दिए। सूपनखा रोते हुए दंडकवन में रह रहे खर दूषण त्रिसिरा को बताती है। तीनों भाईयों से राम जी से युद्ध होता है। और तीनों मारे जाते हैं। तब सूपर्णखा लंका में जाकर भाई रावण को बताती है। रावण मामा मारीच के पास जाकर सोने का मृग बनने को कहकर सीताजी के हरण की योजना बनाता है। पंचवटी से होकर गुजर रहे सोने के हिरन पर मां सीता मोहित हो जाती हैं। श्री राम से उसे पकड़ने का निवेदन करती हैं। मां सीता को अकेली पाकर पाखंडी रावण साधू वेश में भिक्षा मांगने पहुंच जाता है। जैसे ही मां सीता लक्ष्मण रेखा से बाहर भिक्षा देने निकली तभी रावण मां सीता को अपने कुचाल में फंसा कर उनका हरण कर लेता है। लीला का आरंभ नरसिंह स्वरूप हिरण्यकश्यप वध व भक्त प्रह्लाद की झांकी की आरती बीके अग्रहरि विजय, शीलेश बरनवाल,सुनील चौरसिया,ध्रुव सोनी,राम सहाय अग्रहरि,जगदम्बा सोनी,ध्रुव अग्रहरि,राजकुमार अग्रहरि,सुरेश अग्रहरि,गोविंद बरनवाल,सुरेन्द्र चौधरी,लकी अग्रहरि,भास्कर बरनवाल,राम लखन बरनवाल,पूर्व प्रधान भवानीपुर राधेश्याम सिंह ने किया। मंचन में शैलेश गुप्ता, धीरज सोनी, सूरज विश्वकर्मा, आदित्य बरनवाल का सहयोग सराहनीय रहा। संयोजक प्रेम प्रकाश जायसवाल ने सबका आभार व्यक्त किया। रामलीला मंचन में अत्रि जयकृष्ण, अगस्त भोलानाथ, रावण बब्लू, सुतीक्ष्ण गोविंदा,खर दूषण धीरज, शीतल मोदनवाल,मारीच विशाल मोदनवाल ने जीवंत मंचन किया। संचालन सुरेश गुप्ता व गोविंदा सोनी ने किया।
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