भारतीय संविधान का लक्ष्य मानव कल्याण

Sep 20, 2023 - 18:55
Sep 20, 2023 - 18:55
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भारतीय संविधान का लक्ष्य मानव कल्याण

शाहजहांपुर। (आरएनआई) स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय में 9 दिवसीय राष्ट्रीय शैक्षिक जागरूकता अभियान के तीसरे दिन “भारतीय संविधान का उद्देश्य एवं लक्ष्य” विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। सत्र का शुभारंभ स्वामी शुकदेवानंद सरस्वती के चित्र पर पुष्पांजलि एवं दीप प्रज्वलन से हुआ।

स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती जी ने बताया कि आज के वर्तमान कानून गुलामी के प्रतीक हैं ऐसे कानून को समाप्त कर देना चाहिए। नया सांसद एक सर्वोत्तम उदाहरण है जो भारतीय संस्कृति एवं वास्तु शास्त्र के अनुरूप निर्मित किया गया है। मुख्य वक्ता वरिष्ठ अधिवक्ता, उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली श्री अश्वनी कुमार उपाध्याय ने बताया कि भारतीय संविधान का लक्ष्य राम-राज्य की स्थापना के साथ ही मानव कल्याण पर आधारित है, जिसके अंतर्गत “धर्म की स्थापना हो, प्राणियों में सद्भाव हो, विश्व का कल्याण हो, अधर्म का नाश हो” स्थापित करने के लिए संविधान के अंतर्गत मौलिक अधिकार एवं नीति निर्देशक तत्वों के रूप में उपबन्धित किया गया है। अंग्रेजी शासन के दौरान बनाए गए कानून भारत में व्यवस्था स्थापित न करने के उद्देश्य से नहीं बल्कि भारतीयों के अधिकारों के दमन के लिए बनाए गए थे। राष्ट्रीय आपदाओं को छोड़कर 80% समस्याओं का समाधान संसद एवं उच्चतम न्यायालय के माध्यम से हो सकता है। भारत में जातिवादी व्यवस्था को स्थापित करने में सरकारों की मुख्य भूमिका रही। सरकारों ने यदि गोत्र व्यवस्था को लागू की होती तो आज मात्र सौ गोत्रो में कई हजार जातियों को शामिल किया  जा सकता था। आज भारत में जगह-जगह शराब का बढ़ता व्यापार संविधान की धज्जियां उड़ा रहा है। करोड़ों पत्नियां अपने शराबी पति से, करोड़ों पिता अपने शराबी बच्चों से और करोड़ों बच्चे अपने शराबी पिता से परेशान है। यदि सरकार और न्यायालय इस बुराई के विरुद्ध कदम नहीं उठा पा रहे है तो धर्मगुरुओं को आगे आकर लिखना, बोलना या विरोध करना चाहिए। विधि के छात्रों को चाहिए कि इस शराबबंदी या नशाबंदी के लिए आवश्यक कदम उठाएं। 

उन्होंने यह भी बताया कि न्याय का अधिकार हमारा मूल अधिकार है 1 साल में न्याय मिले इसके लिए कानून का निर्माण किया जाना चाहिए।  कनाडा, आस्ट्रेलिया, स्विट्जरलैंड, इंग्लैंड और सिंगापुर जैसे देशों में सिटीजन चार्टर लागू है और वहां पर 1 साल में न्याय प्रदान करने की व्यवस्था विद्यमान है। यदि 1 साल में न्याय प्राप्त हो जाता है तो हमारे देश में न्याय के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ेगा और देश भी तरक्की करेगा। आज के समय में न्यायिक व्यवस्था अन्याय को बढ़ा रहे हैं क्योंकि मुकदमा लंबा चल रहा है। 10 करोड़ मुकदमे है तो कम से कम 60 करोड लोग टेंशन में हैं। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री बृजेश वैश्य वरिष्ठ अधिवक्ता एवं अध्यक्ष बार एसोसिएशन शाहजहांपुर ने किया और बताया कि अधिवक्ता का दायित्व है कि संविधान और कानून को सही तरीके से पढ़ना और इसे लागू करवाना चाहिए साथ ही लोगों को जागरूक करें तभी समाज का भला होगा। विधायिका भले ही गलत कानून बनाए, पर न्यायपालिका का यह दायित्व है कि वह उसे सही दिशा प्रदान करें। डॉ. अनुराग अग्रवाल जी ने के संचालन में हुए कार्यक्रम के अंत में प्रो. (डॉ.) अवनीश मिश्रा ने धन्यवाद ज्ञापित किया और बताया कि भारतीय संविधान एक सामाजिक परंपरा का प्रतीक होना चाहिए जिसमें व्यक्ति के साथ ही साथ राष्ट्र की प्रगति निश्चित हो। 

इस अवसर पर अतिथियों में वरिष्ठ अधिवक्ता श्री मनेंद्र सिंह, श्री अशोक अग्रवाल सचिव प्रबंध समिति, पुरातन छात्र परिषद के सदस्य अधिवक्ता श्री फिरोज हसन खान, अधिवक्ता श्री ओम सिंह, प्रो. आरके आजाद प्राचार्य एसएस कॉलेज, लॉ कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जय शंकर ओझा, डॉ. अनिल कुमार शाह, डॉ. अमित कुमार यादव, डॉ. पवन कुमार गुप्ता तथा एस. एस. लॉ कॉलेज एवं एस. एस. कॉलेज के 568 छात्र उपस्थित रहे।

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