भारतीय वैदिक संस्कृति की ध्वजा थे संत राम दास महाराज : स्वामी विश्वेशप्रपनाचार्य
वृन्दावन।दावानल कुंड क्षेत्र स्थित करह आश्रम में प्रख्यात संत करह बिहारी सरकार बाबा राम दास महाराज का 19 वां अष्टदिवसीय सियपिय मिलन महोत्सव विजय राघव सरकार ट्रस्ट के तत्वावधान में अत्यंत श्रद्धा एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है।जिसमें प्रतिदिन 108 श्रीराम चरित मानस पाठ, भगवन्नाम संकीर्तन,अखंड चौबीस चौपाई पाठ, रूद्राभिषेक, रासलीला एवं संत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा आदि के कार्यक्रम भी हो रहे हैं।
इसके अलावा प्रख्यात संतों, विद्वानों व धर्माचार्यों के प्रवचनों का लाभ भक्तों-श्रृद्धालुओं को प्राप्त हो रहा है।
इसी के अंतर्गत अपने विचार व्यक्त करते हुए चतु:सम्प्रदाय के श्रीमहंत फूलडोल बिहारीदास महाराज व सुदामा कुटी के श्रीमहंत अमरदास महाराज ने कहा कि संत का सानिध्य प्रत्येक व्यक्ति के लिए मंगलमय और कल्याण करने वाला होता है।जिस मनुष्य ने जीवन में कभी सत्संग का लाभ नहीं लिया है,वह पशु के समान है।इसीलिए हम सभी को पूज्य राम दास महाराज जैसे संतों का सानिध्य लेना चाहिए,जिससे हमारा कल्याण हो सके।
सुग्रीवकिला (अयोध्या) के अध्यक्ष श्रीमज्जगद्गुरु स्वामी विश्वेशप्रपनाचार्य महाराज व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि संत राम दास महाराज भारतीय वैदिक संस्कृति की ध्वजा थे।उनके द्वारा सनातन संस्कृति को सुदृढ व उन्नत बनाने के लिए तमाम ठोस कार्य किए गए।जिसके लिए सनातन धर्मावलंबी उनके सदैव ऋणी रहेंगे।
संगीताचार्य पंडित देवकीनंदन शर्मा व भागवताचार्य अखिलेश शास्त्री ने कहा कि संत राम दास महाराज गौसेवा, संत सेवा, विप्र सेवा एवं निर्धन - निराश्रित सेवा आदि के मूर्तिमान स्वरूप थे।हम सभी ने ईश्वर को कहां देखा है,पूज्य राम दास महाराज जैसे संत ही हमें पृथ्वी पर प्रभु सत्ता का आभास कराते हैं।
आचार्य बद्रीश महाराज व डॉ. रमेश चंद्राचार्य महाराज ने कहा कि संत शिरोमणि राम दास महाराज अत्यंत विलक्षण व चमत्कारिक संत थे।वे अपने पास आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की समस्या और पीड़ा का हरण कर लेते थे।उनके जीवन में ज्ञान व भक्ति का अद्भुत समन्वय था।
इस अवसर पर आश्रम के प्रबन्धक बड़े भगतजी महाराज, राम अवतार भगतजी,निंबार्क संस्कृत महाविद्यालय के प्राध्यापक अनिल शास्त्री, राष्ट्रपति पुरूस्कार प्राप्त प्रख्यात रासाचार्य स्वामी पंडित फतेह कृष्ण शर्मा, भानुदेवाचार्य महाराज,संजीव शास्त्री, भागवताचार्य विवेक कृष्ण शास्त्री,दिनेश शास्त्री,युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, संत दीनबंधु दास महाराज,संत वनमाली दास महाराज, दिनेश बाबा आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।संचालन संत सेवानंद ब्रह्मचारी ने किया।
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