भारत में अमेरिकी राजदूत के तौर पर काम करने के योग्य हैं एरिक गार्सेटी: व्हाइट हाउस
व्हाइट हाउस ने बुधवार को एरिक गार्सेटी का समर्थन करते हुए कहा कि वह भारत में अमेरिकी राजदूत के रूप में काम करने के योग्य हैं। इस बीच संसदीय समिति में शामिल रिपब्लिकन पार्टी के एक सांसद ने गार्सेटी के नामांकन पर रोक लगा दी, जिसके चलते इस मामले पर समिति में मतदान आठ मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
वाशिंगटन, 2 मार्च 2023, (आरएनआई)। व्हाइट हाउस ने बुधवार को एरिक गार्सेटी का समर्थन करते हुए कहा कि वह भारत में अमेरिकी राजदूत के रूप में काम करने के योग्य हैं। इस बीच संसदीय समिति में शामिल रिपब्लिकन पार्टी के एक सांसद ने गार्सेटी के नामांकन पर रोक लगा दी, जिसके चलते इस मामले पर समिति में मतदान आठ मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
राष्ट्रपति जो बाइडन ने लॉस एंजेलिस के पूर्व मेयर गार्सेटी (52) को जुलाई 2021 में भारत में अमेरिकी राजदूत नामित किया था। उनके नामांकन के प्रस्ताव को अमेरिकी संसद के उच्च सदन सीनेट में पेश नहीं किया गया था क्योंकि सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी के पास उनकी नियुक्ति के लिए पर्याप्त समर्थन नहीं था।
मेयर कार्यालय में कुछ कर्मचारियों ने गार्सेटी पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे, जिसके चलते रिपब्लिकन और उनके अपने दल के कुछ सदस्य उनके नामांकन का विरोध कर रहे हैं।
हालांकि उनके नामांकन पर से रोक हटा दी गई थी, लेकिन संसद ने उनके नाम पर मुहर नहीं लगाई थी।
बाइडन ने इस साल जनवरी में गार्सेटी को फिर से भारत में अमेरिकी राजदूत के तौर पर नामित किया था। संसद की विदेश संबंध समिति के अध्यक्ष बॉब मेनेंडेज ने 28 फरवरी को उनके नामांकन पर मतदान निर्धारित किया था। लेकिन रिपब्लिकन सांसद मार्को रुबियो ने उनके नामांकन पर रोक लगा दी। समिति ने मतदान अब आठ मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव केरीन ज्यां-पियरी ने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “एरिक गार्सेटी को द्विदलीय तरीके से (संसद की विदेश संबंध समिति से) बाहर कर दिया गया था। तो, स्पष्ट रूप से, उन्हें द्विदलीय समर्थन मिला है, जो इस प्रक्रिया में बहुत महत्वपूर्ण है। हम उम्मीद करते हैं कि संसद उनकी नियुक्ति का समर्थन करेगी।”
ज्यां-पियरे ने कहा, “हमें लगता है कि एरिक गार्सेटी इस महत्वपूर्ण भूमिका को निभाने के योग्य हैं, इसलिए राष्ट्रपति ने उन्हें नामित किया। राष्ट्रपति ने उन्हें इसलिए नामित किया क्योंकि उन्हें लगा कि उनके पास भारत में अमेरिकी राजदूत बनने का अनुभव है।”
भारत में अमेरिकी राजदूत के पद पर फैसला दो साल से अधिक समय से लंबित है।
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