भारत को ₹4.8 अरब में एंटी सबमरीन वॉरफेयर सोनोवॉयस बेचेगा अमेरिका
रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने अमेरिका के इस फैसले पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि इस बिक्री से भारत MH-60R हेलीकॉप्टरों से एंटी सबमरीन वॉरफेयर ऑपरेशन की क्षमता को बढ़ा सकता है। इसके साथ ही वर्तमान और भविष्य के खतरों से निपटने की क्षमता में भी सुधार होगा।
वॉशिंगटन (आरएनआई) अमेरिका ने भारत को 52.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर की हाई एल्टीट्यूड एंटी सबमरीन वॉरफेयर सोनोवॉय बेचने का फैसला किया। यह एक ऐसा कदम है जहां एंटी सबमरीन वॉरफेयर ऑपरेशन में भारत की क्षमता को बढ़ाएगा। सोनोबॉय एयर-लॉन्च, एक्सपेंडेबल, इलेक्ट्रो-मैकेनिकल सेंसर हैं, जिसे पानी के नीचे की आवाज को रिमोट प्रोसेसर तक रिले करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह एंटी सबमरीन प्रभावी और किफायती हैं। इससे चुनौतियों को पार करने के लिए ताकत बढ़ेगी।
रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने अमेरिका के इस फैसले पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "इस बिक्री से भारत MH-60R हेलीकॉप्टरों से एंटी सबमरीन वॉरफेयर ऑपरेशन की क्षमता को बढ़ा सकता है। इसके साथ ही वर्तमान और भविष्य में चुनौतियों को पार करने के लिए ताकत बढ़ेगी। भारत को अपने सशस्त्र बलों में इस उपकरण को शामिल करने में कोई कठिनाई नहीं होगी।" आर्म्स एक्सपोर्ट कंट्रोल एक्ट के तहत अमेरिका के पास इस बिक्री की समीक्षा के लिए 30 दिन का समय है। संसद की अधिसूचना के अनुसार, भारत ने AN/SSQ-53O हाई एल्टीट्यूड एंटी सबमरीन वॉरफेयर (एचएएएसडब्ल्यू) सोनोबॉय, AN/ SSQ-62F HAASW सोनोबॉय और AN/SSQ-36 सोनोबॉय खरीदने का अनुरोध किया था। इसका कुल खर्च 52.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर है।
अधिसूचना में कहा गया, "यह बिक्री अमेरिका-भारत रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने में मदद करेगा। इससे सुरक्षा नीति में सुधार होगा, जो भारत-प्रशांत और दक्षिण एशिया क्षेत्रों में राजनीतिक स्थिरता, शांति और आर्थिक प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण ताकत बना हुआ है।" अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन 23 अगस्त को52.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत पर भारत को एंटी वॉरफेयर सोनोबॉय की बिक्री को मंजूरी दे दी थी।
चीन हाल ही में अपने सबसे आधुनिक सबमरीन को लॉन्च किया है। इसे पीपल्स लिबरेशन आर्मी नेवी की अंडरवाटर फ्लीट में शामिल किया गया है। चीन की नौसेना के पास 48 डीजल इलेक्ट्रिक सबमरीन हैं। चीन पर हिंद महासागर और हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र में सबमरीन की मदद से जासूसी करने के आरोप लगते रहे हैं। यही वजह है कि भारत अमेरिका के बीच हुए इस एंटी सबमरीन समझौते से चीन की साजिशों पर कुछ हद तक नकेल कसी जा सकेगी।
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