भारत के किसी भी शहर की हवा WHO के मानकों पर खरी नहीं, मेघालय का बर्नीहाट सबसे प्रदूषित शहर

सीआरईए रिपोर्ट में सीआरईए ने पिछले छह महीनों के दौरान देश के 256 शहरों की वायु गुणवत्ता में आए बदलावों का विश्लेषण किया है। बर्नीहाट में अध्ययन किए गए 148 दिनों में से छह दिन वायु गुणवत्ता का स्तर गंभीर था।

Jul 30, 2024 - 04:38
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भारत के किसी भी शहर की हवा WHO के मानकों पर खरी नहीं, मेघालय का बर्नीहाट सबसे प्रदूषित शहर

नई दिल्ली (आरएनआई) देश के 256 शहरों की वायु गुणवत्ता डब्ल्यूएचओ के मानकों पर खरी नहीं है। चालू वर्ष 2024 के शुरुआती छह महीनों के आंकड़ों के अनुसार मेघालय के बर्नीहाट शहर की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित थी। इस दौरान वहां पीएम 2.5 का औसत स्तर 140 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा। बर्नीहाट, असम का एक छोटा सा शहर है, जिससे स्पष्ट है कि देश में प्रदूषण अब केवल बड़े शहरों की समस्या नहीं रह गया है। वहीं, प्रदूषण के मामले में फरीदाबाद दूसरे और दिल्ली तीसरे स्थान पर रही।

यह जानकारी सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) द्वारा जारी नई रिपोर्ट में सामने आई है। इस रिपोर्ट में सीआरईए ने पिछले छह महीनों के दौरान देश के 256 शहरों की वायु गुणवत्ता में आए बदलावों का विश्लेषण किया है। बर्नीहाट में अध्ययन किए गए 148 दिनों में से छह दिन वायु गुणवत्ता का स्तर गंभीर था। 107 दिन हवा बेहद खराब रही। छह महीनों में महज पांच दिन ऐसे थे जब वायु गुणवत्ता बेहतर रही।

हरियाणा का फरीदाबाद शहर प्रदूषित शहरों की सूची में दूसरे नंबर पर रहा। यहां एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब हवा स्वास्थ्य के लिहाज से सुरक्षित रही हो। यहां का पीएम 2.5 का औसत स्तर 103 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा। वहीं, सूची में दिल्ली तीसरा सबसे प्रदूषित शहर है। यहां पीएम 2.5 का औसत स्तर 102 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा।

प्रदूषित शीर्ष 10 शहरों में गुरुग्राम चौथे स्थान पर था। यहां पीएम 2.5 का स्तर 99 दर्ज किया गया। इसके बाद भागलपुर, श्रीगंगानगर, ग्रेटर नोएडा, मुजफ्फरनगर, बल्लबगढ़ और भिवाड़ी शीर्ष दस में शामिल थे।

रिपोर्ट के अनुसार देश के 163 सबसे प्रदूषित शहरों में 63 ऐसे हैं, जो नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम का हिस्सा हैं।  बाकी 100 शहरों के पास अभी भी वायु प्रदूषण के जहर से निपटने के लिए कोई योजना नहीं है।

डब्ल्यूएचओ ने लम्बी अवधि में हवा में पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से कम पीएम 2.5 को सुरक्षित माना है। वहीं, राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों में यह 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है।

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