भारत की हवा में आया सुधार: पीएम 2.5 प्रदूषण 27% घटा, छह साल में सबसे अधिक वाराणसी-मुरादाबाद में कम हुआ प्रदूषण
क्लाइमेट टेक फर्म रेस्पिरर लिविंग साइंसेज की रिपोर्ट के अनुसार, वायु गुणवत्ता काफी सुधरी है। 2019 से सभी निगरानी शहरों में पीएम 2.5 के स्तर में 27 फीसदी की गिरावट आई है। इस दौरान एनसीएपी के तहत आने वाले शहरों ने 24 फीसदी की कमी हासिल की, जो वायु प्रदूषण से निपटने में प्रगति को दिखाता है।
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नई दिल्ली (आरएनआई) भारतीय शहरों में बीते छह वर्षों में पीएम 2.5 प्रदूषण के स्तर में औसतन 27 फीसदी की कमी आई है। सबसे अधिक वाराणसी और मुरादाबाद में पीएम 2.5 का स्तर क्रमशः 76 और 58 फीसदी कम हुआ है। अन्य शहरों में कलबुर्गी में 57.2, मेरठ में 57.1, कटनी में 56.3, आगरा में 54.1, बागपत में 53.3, कानपुर में 51.2 और जोधपुर में 50.5 फीसदी की कमी आई है।
क्लाइमेट टेक फर्म रेस्पिरर लिविंग साइंसेज की रिपोर्ट के अनुसार, वायु गुणवत्ता काफी सुधरी है। 2019 से सभी निगरानी शहरों में पीएम 2.5 के स्तर में 27 फीसदी की गिरावट आई है। इस दौरान एनसीएपी के तहत आने वाले शहरों ने 24 फीसदी की कमी हासिल की, जो वायु प्रदूषण से निपटने में प्रगति को दिखाता है। सुधारों के बावजूद, कई शहर अत्यधिक प्रदूषित बने हुए हैं। 2024 में दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर 107 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था, जबकि असम के बर्नीहाट में यह 127.3 रहा। गुरुग्राम में 96.7, फरीदाबाद में 87.1, श्रीगंगानगर में 85.5 व ग्रेटर नोएडा में यह 83.9 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया। इसी तरह मुजफ्फरनगर में 83.2, दुर्गापुर में 82.0, आसनसोल में 80.3 व गाजियाबाद में 79.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पीएम 2.5 पाया गया।
रेस्पिरर लिविंग साइंसेज के संस्थापक रौनक सुतारिया ने कहा, भारत की वायु गुणवत्ता आशा व सावधानी दोनों की कहानी है। जहां वाराणसी जैसे शहरों ने उल्लेखनीय प्रगति की है, वहीं दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब व यूपी समेत उत्तरी क्षेत्रों में गंभीर प्रदूषण जारी है।
भारत ने 2019 में एनसीएपी लॉन्च किया जिसका लक्ष्य 2017 को आधार वर्ष मानते हुए 2024 तक कण प्रदूषण 20-30 % तक कम करना था। बाद में लक्ष्य संशोधित कर 2026 तक 40% कर दिया गया, जिसमें 2019-20 आधार वर्ष होगा।
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