भारत का प्रभाव सीमित करना चाहता है चीन : डीजीपी सम्मेलन में पेश दस्तावेज में कहा गया
भारत के विस्तारित पड़ोस में चीन की गतिविधियां एवं प्रभाव तेजी से बढ़ा है जिसका एकमात्र उद्देश्य नयी दिल्ली को सीमित रखना और इनके कारण उत्पन्न चुनौतियों से निपटने में उसे उलझाये रखना है। यह बात यहां आयोजित एक महत्वपूर्ण सुरक्षा सम्मेलन में प्रस्तुत दस्तावेजों में सामने आई है।
नयी दिल्ली, 23 जनवरी 2023, (आरएनआई)। भारत के विस्तारित पड़ोस में चीन की गतिविधियां एवं प्रभाव तेजी से बढ़ा है जिसका एकमात्र उद्देश्य नयी दिल्ली को सीमित रखना और इनके कारण उत्पन्न चुनौतियों से निपटने में उसे उलझाये रखना है। यह बात यहां आयोजित एक महत्वपूर्ण सुरक्षा सम्मेलन में प्रस्तुत दस्तावेजों में सामने आई है।
हाल ही में सम्पन्न पुलिस महानिदेशकों/महानिरीक्षकों के अखिल भारतीय सम्मेलन के दौरान प्रस्तुत दस्तावेज में कहा गया है कि दक्षिण पूर्व और दक्षिण एशिया में विकास कार्यों के नाम पर बतौर ऋण बड़े पैमाने पर धन दे कर चीन हिन्द महासागर क्षेत्र में भारत के प्रभाव को कम करना चाहता है और उसे बीजिंग की शर्तों पर द्विपक्षीय मुद्दों पर समाधान के लिए बाध्य करना चाहता है।
तीन दिवसीय इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल सहित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से ‘हाइब्रिड मोड’ में विभिन्न स्तरों पर करीब 350 अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
दस्तावेज के अनुसार, चीन की ओर से इस उद्देश्य के लिये बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई), चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी), भारत के पड़ोसी देशों में आसान ऋण के माध्यम से आधारभूत ढांचा संबंधी निवेश, सीमा क्षेत्रों एवं वास्तविक नियंत्रण रेखा पर मुद्दे को गर्माये रखने जैसे कुछ हथकंडों का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया गया है।
इसमें कहा गया है कि पिछले करीब ढ़ाई दशकों में चीन की आर्थिक और सैन्य ताकत में बड़ी वृद्धि देखी गई है और भारत के विस्तारित पड़ोस में चीन की गतिविधियों एवं प्रभाव में भी तुलनात्मक वृद्धि दर्ज की गई है
दस्तावेज के अनुसार, ‘‘ इन सबका एकमात्र उद्देश्य भारत को सीमित रखना और इनके कारण उत्पन्न चुनौतियों से निपटने में उसे उलझाये रखना है तथा अपनी शर्तों पर द्विपक्षीय मुद्दों के समाधान के लिए उसे बाध्य करना है।’’
इनमें कहा गया है कि इसके साथ ही वह (चीन) भारत के विकास की कहानी को कम करना चाहता है ताकि वह न केवल एशिया की प्रभावी ताकत बल्कि वैश्विक सुपरपावर बनने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए मुक्त रहे।
देश के, कुछ शीर्ष आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारियों द्वारा ‘‘ पड़ोस में चीन का प्रभाव और भारत पर उसके परिणाम’’ विषय पर लिखे गए दस्तावेज में यह बात कही गई है।
इसके एक दस्तावेज में कहा गया है कि चीन दक्षिण एशियाई क्षेत्र में अधिक ध्यान दे रहा है और वाणिज्यिक एवं विकास सम्पर्कों से आगे बढ़कर राजनीतिक एवं सुरक्षा क्षेत्र की ओर बढ़ रहा है।
इसमें कहा गया है कि चीन द्वारा भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमा और श्रीलंका में आधारभूत ढांचा विकास एवं अन्य वित्तीय सहायता के नाम पर काफी धन का निवेश किया जा रहा है।
दस्तावेज में कहा गया है कि बिना किसी अपवाद के, भारत के पड़ोसी देशों ने चीन को महत्वपूर्ण विकास सहयोगी बताया है जो या तो वित्त पोषक के रूप में या प्रौद्योगिकी और हर तरह का (लॉजिस्टिक) सहयोग प्रदान करने वाले देश के रूप में उनका साथ दे रहा है।
इसमें कहा गया है कि बांग्लादेश और श्रीलंका में वह (चीन) माल से जुड़ा सबसे बड़ा कारोबारी सहयोगी है और नेपाल और मालदीव में दूसरा सबसे बड़ा ऐसा कारोबारी सहयोगी है।
इसमें कहा गया है कि, ‘‘ हालांकि इसके आर्थिक तत्व इन संबंधों के राजनीतिक पहलुओं, सरकार, लोगों के बीच सम्पर्कों के आयाम से जुड़े हुए हैं।’’
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