भाजपा की चुप्पी से मणिपुर में राजनीतिक अनिश्चितता बरकरार, कांग्रेस ने बताया संविधान की अवमानना
मणिपुर में राजनीतिक अनिश्चितता अभी भी बरकरार है, एक तरफ जहां भाजपा की तरफ से नए मुख्यमंत्री के नाम का एलान नहीं किया गया है। दूसरी तरफ कांग्रेस की तरफ से कहा गया है कि मणिपुर में अनुच्छेद 174 का उल्लंघन किया गया है, जिसके अनुसार दो विधानसभा सत्रों के बीच छह महीने से अधिक का अंतराल नहीं हो सकता है।
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इंफाल (आरएनआई) मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से एन बीरेन सिंह के इस्तीफा देने के चार दिन बाद भी राज्य में राजनीतिक स्थिति अनिश्चित बनी हुई है, क्योंकि सत्तारूढ़ भाजपा ने अभी तक नए नेता पर फैसला नहीं किया है। इस बीच, राज्य के वन मंत्री टी. बिश्वजीत बुधवार शाम को इम्फाल से गुवाहाटी के लिए रवाना हो गए, और पड़ोसी राज्य की उनकी यात्रा का कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया गया है।
इधर भाजपा के पूर्वोत्तर प्रभारी संबित पात्रा और पार्टी विधायकों के बीच कई दौर की चर्चा के बावजूद गतिरोध बना हुआ है, कुछ विधायकों ने सुझाव दिया है कि अंतिम निर्णय केंद्र को लेना चाहिए। संबित पात्रा पिछले दो दिनों में दो बार राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मिल चुके हैं। मंगलवार को संबित पात्रा ने राज्य पार्टी अध्यक्ष ए. शारदा देवी के साथ भल्ला से बातचीत की और बुधवार को उन्होंने फिर से राज्यपाल से मुलाकात की।
संबित पात्रा ने स्थिति पर चर्चा करने के लिए राज्य के उपभोक्ता मामलों के मंत्री एल सुसिंड्रो और विधायक करम श्याम समेत भाजपा विधायकों के साथ भी बैठक की। वहीं पत्रकारों से बात करते हुए श्याम ने कहा कि बीरेन सिंह के पद छोड़ने के फैसले के बाद कोई संवैधानिक संकट नहीं है और विधायकों की मदद से केंद्र सरकार मौजूदा मुद्दों को सुलझा लेगी। राज्य विधानसभा के लगातार दो सत्रों के बीच अधिकतम छह महीने के अंतराल की समाप्ति पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, 'देखते हैं क्या होता है'। वहीं ये पूछे जाने पर कि क्या नए मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा की जाएगी, इस पर विधायक करम श्याम ने हंसते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
कांग्रेस विधायक थोकचोम लोकेश्वर ने संबित पात्रा के राज्य दौरे के उद्देश्य पर सवाल उठाया और पूछा कि क्या उनका इरादा नेतृत्व संकट को हल करना है। कांग्रेस विधायक ने कहा कि संबित पात्रा को भाजपा विधायकों से चर्चा करके नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति का बीड़ा उठाना चाहिए था। पूर्व अध्यक्ष ने कहा, 'उनका दौरा यह सुनिश्चित करने के लिए है कि विधानसभा सत्र न हो और राज्य के मुद्दे दरकिनार रहें। अभी तक उन्होंने कोई टिप्पणी भी नहीं की है।
कांग्रेस ने गुरुवार को कहा कि मणिपुर में अनुच्छेद 174 का उल्लंघन किया गया है, जिसके अनुसार दो विधानसभा सत्रों के बीच छह महीने से अधिक का अंतराल नहीं हो सकता है और आरोप लगाया कि यह संविधान की जानबूझकर की गई अवमानना है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि मणिपुर में संवैधानिक तंत्र ध्वस्त हो गया है और राज्य के लोगों की पीड़ा जारी है, क्योंकि वे अभी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे का इंतजार कर रहे हैं 'जो मणिपुर को छोड़कर हर जगह जाते हैं'।
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