'भाजपा आपातकाल पर बात कर रही, लेकिन वर्तमान मुद्दों पर खामोश है' : शशि थरूर
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने आपातकाल मुद्दे पर भाजपा को घेरा, उन्होंने कहा कि भाजपा 1975 में लगे आपातकाल पर बात कर रही है, लेकिन मौजूदा मुद्दों जैसे बेरोजगारी, नीट धांधली, मणिपुर मुद्दों पर खामोश है। उन्होंने कहा कि आपातकाल अलोकतांत्रिक था, लेकिन असंवैधानिक नहीं था। संविधान में आपातकाल का एक प्रावधान था, जिसे बाद में हटा दिया गया था।
नई दिल्ली (आरएनआई) लोकसभा में इन दिनों आपातकाल को लेकर जमकर विवाद चल रहा है। इस पर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाया गया आपातकाल अलोकतांत्रिक था लेकिन असंवैधानिक नहीं था।
18 वीं लोकसभा के पहले सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर हमला बोल दिया। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल को असंवैधानिक, लोकतंत्र की हत्या बताया। इसके बाद से ही लगातार भाजपा नेताओं ने आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर कटाक्ष किया। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी आपातकाल को भारत के लोकतंत्र का काला दिन बताया।
कांग्रेस नेता शशि थरूर जो कि केरल के तिरुवनंतपुरम क्षेत्र से लगातार चौथी बाद लोकसभा चुनाव जीते हैं। उन्होंने भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी पर ध्यान भटकाने की रणनीति के तहत आपातकाल का मुद्दा उठाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार लक्ष्य बदल रही है। 1975 में या 2047 के बारे में बात कर सकते हैं, लेकिन वर्तमान के बारे में भाजपा बात नहीं रही। ध्यान बेरोजगारी, नीट पेपर लीक और मणिपुर की स्थिति जैसे ज्वलंत मुद्दों पर होना चाहिए।
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि मैं आपातकाल का आलोचक हूं, लेकिन सच ये है कि आपातकाल अलोकतांत्रिक हो सकता है, लेकिन असंवैधानिक नहीं था। संविधान के एक प्रावधान के तहत आंतरिक आपातकाल लगाने की अनुमति दी गई थी, लेकिन अब उस प्रावधान को हटा दिया गया है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी बृहस्पतिवार को संसद के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए आपातकाल के बारे में चर्चा की थी। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल को संविधान पर हमला कहना वास्तव में कानून की नजर से गलत था। उन्होंने कहा कि मैं उस कदम का समर्थन नहीं कर रहा हूं, न ही ये कह रहा हूं कि यह गर्व करने की बात है। लेकिन मुझे लगता है कि विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार करना, प्रेस पर सेंसरशिप लगाना और उस दौरान उठाए गए कई कदम अलोकतांत्रिक थे, लेकिन दुख की बात यह है कि ये असंवैधानिक नहीं थे।
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