'भाई-भतीजावाद और कुप्रबंधन ने बैंकिंग क्षेत्र को संकट में डाला', राहुल गांधी ने भाजपा पर साधा निशाना
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक बैंक के कुछ कर्मचारियों से मुलाकात की। राहुल गांधी ने इस मुलाकात का एक वीडियो एक्स पर साझा किया। साथ ही उन्होंने भाजपा पर बैंकिंग क्षेत्र को संकट में डालने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के भाई-भतीजावाद और नियामक कुप्रबंधन ने भारत के बैंकिंग क्षेत्र को संकट में डाल दिया है

नई दिल्ली (आरएनआई) कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक निजी बैंक के कुछ कर्मचारियों से मुलाकात की। मुलाकात के बाद उन्होंने भाजपा पर बंकिंग क्षेत्र को संकट में डालने जैसा गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के भाई-भतीजावाद और नियामक कुप्रबंधन ने भारत के बैंकिंग क्षेत्र को संकट में डाल दिया है, जिसके चलते जूनियर कर्मचारियों को तनाव और तनावपूर्ण कार्य स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।
साथ ही राहुल गांधी ने भाजपा पर अपने अरबपति मित्रों के लिए 16 लाख करोड़ रुपये के ऋण माफ करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस आर्थिक कुप्रबंधन की कीमत हजारों ईमानदार कामकाजी पेशेवरों को चुकानी पड़ रही है। उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल के साथ अपनी बैठक का एक वीडियो भी साझा किया, जिसमें कर्मचारी बता रहे थे कि बैंक में कुप्रबंधन के कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ा।
राहुल गांधी ने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी इन कामकाजी पेशेवरों के अधिकारों के लिए लड़ेगी और उनके कार्यस्थल पर अतरिक्त तनाव को समाप्त करने की कोशिश करेगी। साथ ही राहुल गांधी ने उन लोगों से भी आग्रह किया जिन्होंने इसी तरह के अन्याय का सामना किया है। राहुल गांधी ने कहा कि वैसे लोग मुझे संदेश भेजे।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि आईसीआईसीआई बैंक के 782 पूर्व कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल ने संसद में उनसे मुलाकात की। उन्होंने कर्मचारियों की कहानियों में कार्यस्थल पर उत्पीड़न, जबरी स्थानांतरण, एनपीए उल्लंघकों को अनैतिक तरीके से ऋण देने का खुलासा करने के बाद प्रतिशोध और बिना उचित प्रक्रिया के बर्खास्तगी जैसी समस्याओं का खुलासा हुआ। राहुल गांधी ने ये भी बताया कि ऐसे दो मामलों में तो इन घटनाओं के कारण आत्महत्या तक हो गई।
साथ ही राहुल गांधी ने कहा कि कर्मचारियों ने बताया कि इस तरह की अन्यायपूर्ण प्रथाएं केवल आईसीआईसीआई बैंक तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि ये निजी क्षेत्र के बैंकों में भी एक व्यापक प्रवृत्ति बन चुकी हैं, जो अधिक से अधिक लाभ कमाने के दबाव से प्रेरित हैं। हालांकि इस मामले में निजी बैंक की ओर से इस मुद्दे पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
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