भगवान श्रीकृष्ण के ही साक्षात स्वरूप हैं गिरिराज गोवर्धन : आचार्य मृदुल कृष्ण गोस्वामी
(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)
वृन्दावन (आरएनआई) छटीकरा रोड़ स्थित श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आश्रम में चल रहे सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ महोत्सव में व्यासपीठ से श्रीहरिदासी वैष्णव संप्रदायाचार्य विश्वविख्यात भागवत प्रवक्ता आचार्य गोस्वामी मृदुल कृष्ण महाराज ने अपनी सुमधुर वाणी में सभी भक्तों-श्रृद्धालुओं को पंचम दिवस की कथा श्रवण कराते हुए कहा कि सप्त कोसीय गिरिराज गोवर्धन का प्रादुर्भाव श्रीराधा रानी की इच्छा से ही भगवान श्रीकृष्ण के हृदय से हुआ था।इसलिए वे उन्हीं के साक्षात स्वरूप माने जाते हैं।उनमें और भगवान श्रीकृष्ण में कोई भेद नहीं है।गिरिराज गोवर्धन की पूजा - आराधना व प्रदक्षिणा करने से भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराधा रानी की सेवा करने का फल प्राप्त होता है।
आचार्य मृदुल कृष्ण गोस्वामी महाराज ने कहा कि द्वापर युग में जब देवराज इंद्र को अत्यंत अभिमान हो गया था, तब उनके अभिमान का नाश करने की लिए ही भगवान श्रीकृष्ण ने गिरिराज लीला की थी और सप्त कोसीय गिरिराज गोवर्धन को अपने नख पर धारण कर समूचे ब्रज मंडल की रक्षा की।इसीलिए गिरिराज गोवर्धन सभी ब्रज वासियों के सर्व पूज्य देव हैं।
महोत्सव के अंतर्गत गिरिराज गोवर्धन की अत्यंत नयनाभिराम व चित्ताकर्षक झांकी सजाई गई।साथ ही 56 भोग भी लगाए गए। कथा के यजमान कमलेश गुप्ता, गिर्राज गुप्ता, रमेश गोयल, राकेश बंसल, संजय गुप्ता, सुमित गुप्ता, आर.पी. गुप्ता, राजेश अग्रवाल, योगेश गुप्ता, शुभम गुप्ता, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, प्रमुख समाजसेवी दासबिहारी अग्रवाल, पण्डित किशोर शास्त्री, आचार्य राजा पण्डित, पंडित रवीन्द्रजी, पंडित उमाशंकर मिश्रा एवं डॉ. राधाकांत शर्मा आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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