भगवान की कथा का कभी समापन नहीं, विश्राम होता है : वासुदेव नंदिनी भार्गव
शिवपुरी (आरएनआई) सिंहनिवास मैं ताल वाले वडे हनुमान जी के मंदिर पर चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का आज अंतिम दिवष था। आज कथा वाचक वालयोगी पं वासुदेव नंदिनी भार्गव ने श्री शुकदेव जी के अंतिम उपदेशों पर कथा का श्रवण कराया उन्होंने कहा कि श्री शुकदेव जी कहते हैं,हे परीक्षित शरीर तुमसे भिन्न है,तुम शरीर नहीं हो,और अव तुम वृम्ह चिन्तन मैं रत हो,तक्षक के आने से पहले ही तुम वैकुंठ धाम पहुंच जाओगे।
कलयुग मैं मनुष्य,मरते समय,गिरते समय,फिसलते समय विवश होकर भी भगवान के किसी एक नाम का भी उच्चारण भर करले,तो उसके सारे कर्म वंधन कट जाते हैं,उसे उत्तम गति प्राप्त होती है। यूं तो कलयुग दौषों का खजाना है किंतु श्री कृष्ण संकीर्तन से भी मुक्ति संभव है। श्री मद्भागवत् की कथाओं का मुख्य उद्देश्य,भाव जीवन को पुष्ट करना है अतः भक्ति विरक्ति और संशय निवृत्ति, भागवत का फल है। कथा के विश्राम दिवष पर सैकड़ों धर्मप्रेमी जनों ने कथा का रसपान कर आनंद की अनुभूति ग्रहण की।
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